हिमाचल छोडऩे वाले डाक्टरों की डिग्रियां सरकार पांच साल तक अपने पास रखेगी
सरकारी पैसे से एमबीबीएस करने वाले डाक्टर मोटी कमाई के चक्कर में हिमाचल छोड़ते हैं। अब सरकार ने डाक्टरों को रोकने का रास्ता निकाल लिया है।
शिमला, प्रकाश भारद्वाज। सरकारी पैसे से एमबीबीएस करने वाले डाक्टर मोटी कमाई के चक्कर में हिमाचल छोड़ते हैं। अभी तक सरकार के पास ऐसा कोई कानून नहीं है कि डाक्टरों को नौकरी करने के लिए रोका जाए। अब सरकार ने डाक्टरों को रोकने का रास्ता निकाल लिया है।
हिमाचल प्रदेश सरकार डाक्टरों की डिग्रियां तब तक अपने पास रखेगी, जब तक की सरकार व डाक्टर के बीच में करार की अवधि पूरी नहीं हो जाती है। ऐसा प्रस्ताव तैयार किया गया है कि स्वास्थ्य विभाग के तहत नियुक्त होने वाले डाक्टरों की डिग्रियां तीन से पांच साल तक के लिए सरकार अपने पास रखेगी। अभी तक पचास से अधिक डाक्टर हिमाचल छोड़कर दूसरे राज्यों में जा चुके हैं। जिसे देखते हुए ने डाक्टरों को रोकने का नया रास्ता निकाला है।
स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार का कहना है कि अभी बांड मनी दस लाख रुपये ली जाती है। बांड मनी की रम को घटाई जाएगी और बांड की अवधि पांच वर्ष से कम होगी।
सरकार के पास ऐसी शिकायतें आई हैं जिनमें अस्पताल के डाक्टरों की फार्मासिस्टों के साथ सांठगांठ हैं। स्वास्थ्य विभाग को प्राप्त चार सौ शिकायतों की जांच हो रही है। फार्मा कंपनियों के साथ सांठगांठ करने वाले अधिकांश डाक्टर राज्य स्तरीय इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज व डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के हैं। डाक्टरों के साथ दवा कंपनियां मिली हुई हैं।
सबूत मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। मेडी पर्सन एक्ट के तहत डाक्टरों को प्राप्त अधिकारों की सरकार ने समीक्षा करने का निर्णय लिया है। जिसके तहत डाक्टरों की लापरवाही के मामलों को देखते हुए अभिभावकों को शिकायत करने का अधिकार रहेगा। कांग्रेस सरकार ने डाक्टरों को बेलगाम कर दिया था। डाक्टर चाहें तो मरीज या फिर मरीज के साथ आने वाले अभिभावकों के साथ दुव्र्यवहार करें मगर दूसरा पक्ष अपना विरोध तक दर्ज नहीं कर सकता है।