पुराने स्वास्थ्य बीमा कार्ड पर निशुल्क उपचार से डॉक्टर ने किया इंकार
आइजीएमसी में गरीब मरीजों को परेशान कर रहे हैं डॉक्टर, निशुल्क उपचार से कर रहे हैं इंकार।
शिमला, रविंद्र शर्मा। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में कुछेक डॉक्टर गरीब मरीजों का उपचार करने की बजाय परेशान कर रहे हैं। आइजीएमसी में रोजाना ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें गरीब मरीजों को राष्ट्रीय बीमा योजना के तहत बने कार्ड पर निशुल्क उपचार करने से इंकार किया जा रहा है। जबकि प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लोगों के वर्ष 2014 के दौरान बने कार्ड पर भी निशुल्क उपचार दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आइजीएमसी के डॉक्टर प्रदेश के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
पुराने स्वास्थ्य बीमा कार्ड पर निशुल्क उपचार न मिलने पर गरीब लोग अपने रिश्तेदारों या जानने वाले लोगों से मदद की गुहार लगाकर अपने मरीज के उपचार के लिए पैसे की जुगाड़ कर रहे हैं। डॉक्टरों द्वारा पुराने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना कार्ड पर निशुल्क उपचार देने से इंकार कर देने से लोग उनकी कार्यप्रणाली पर संदेह जताने लगे हैं।
उपायुक्त से की शिकायत
कुछ दिन पहले ही एक महिला आइजीएमसी में अपना उपचार करवाने आई थी। इस दौरान डॉक्टरों ने उसे वर्ष दो के दौरान बने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना कार्ड पर निशुल्क उपचार करने से इंकार कर दिया। ऐसे में महिला को अपने पैसे खर्च कर उपचार करवाना पड़ा। बाद में महिला ने इस मामले की शिकायत शिमला के उपायुक्त से की। जिस उपायुक्त अमित कश्यप ने आइजीएमसी अस्पताल प्रशासन को इस पर लताड़ लगाई।
डॉक्टर ही नहीं जागरूक
आइजीएमसी में डाक्टरों द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत वर्ष 2014 के दौरान बने स्वास्थ्य कार्ड पर भी निशुल्क उपचार दिए जाने के निर्देशों को लेकर डॉक्टर पूरी तरह से जागरूक नहीं हैं। यही कारण है कि वह अस्पताल में आने वाले मरीजों को निशुल्क उपचार देने से इंकार कर रहे है।
पुराने कार्ड पर भी निशुल्क उपचार मिलेगा
ऐसी शिकायतें लेकर मरीज आ रहे हैं कि डॉक्टर ने पुराने स्वास्थ्य बीमा कार्ड पर निशुल्क उपचार देने से इंकार कर दिया है। ऐसा करना गलत है। वर्ष 2014 के दौरान बने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना कार्ड पर भी निशुल्क उपचार देने से नहीं रोका जा सकता है। यदि किसी मरीज को कोई डॉक्टर इंकार करता है तो वह सीधा मुझसे मिले।
-डॉ. राहुल राव, डिप्टी एमएस आइजीएमसी।