एचआरटीसी के डीएम निलंबित
हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के धर्मशाला के मंडलीय प्रबंधक दलजीत सिंह को निलंबित कर दिया गया है।
शिमला, रमेश सिंगटा। जीवित लाइसेंसी (किरायेदार) को मृत घोषित करने वाले हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के धर्मशाला के मंडलीय प्रबंधक दलजीत सिंह को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई मुख्य महाप्रबंधक की जांच रिपोर्ट के आधार पर हुई है। शुक्रवार को सरकार ने डीएम को निलंबित करने के आदेश जारी किए। परिवहन मंत्री गोविंद ठाकुर ने इसकी पुष्टि की है।
परिवहन मंत्री के मुताबिक डीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए एचआरटीसी के एमडी को आदेश दिए गए हैं। इस मामले में नियमों के मुताबिक कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, अब इस मामले में एफआइआर दर्ज हो सकती है। अब डीएम को विभागीय जांच का भी सामना करना पड़ेगा। वह टायर घोटाले में भी आरोपित हैं। उन्हें इसमें भी राहत मिलने के आसार खत्म हो गए हैं। वहीं, ताजा कार्रवाई को लेकर कोई अधिकारी कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है। एमडी डॉ. संदीप भटनागर ने मोबाइल फोन नहीं सुना।
कार्यकारी निदेशक डॉ. अश्विनी कुमार ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। जांच अधिकारी रहे सीजीएम एचके गुप्ता कहते हैं कि वह संबंधित मामले को नहीं देखते हैं। प्रधान सचिव (परिवहन) जगदीश चंद शर्मा ने इस मामले से अनभिज्ञता जताई। क्या था मामला ऊना में एचआरटीसी ने कई दुकानों को किराये पर दिया था। एक लाइसेंसी पर ही 61 लाख रुपये से अधिक का किराया बकाया हो गया था। रिकवरी करने के लिए निगम की एक कमेटी पिछले वर्ष गठित हुई। इस कमेटी के मुखिया दलजीत सिंह बने। इसमें दो अन्य सदस्य भी थे। आरोप है कि अधिकारी ने मिलीभगत के कारण लाइसेंसी को मृत घोषित कर दिया जबकि वह जिंदा था।
जागरण ने प्रमुखता से उठाया मामला
दैनिक जागरण ने 21 जून के अंक में इस मामले में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। इसके आधार पर सरकार ने जांच के आदेश दिए। जांच अधिकारी एचआरटीसी के सीजीएम एचके गुप्ता को लगाया गया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में माना था कि लाइसेंसी न केवल जिंदा है बल्कि वह तहसीलदार रिकवरी के पास रिकवरी के पैसे भी चुका रहा है। भारतीय परिवहन मजदूर संघ ने भी इस मामले को सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाया था।