ट्यूशन फीस का निर्णय जल्द हो लागू
निजी स्कूलों की फीस को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। छात्र अभिभावक मंच ने इसको लेकर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज सहित निदेशक उच्चतर शिक्षा निदेशक प्रारंभिक शिक्षा और संयुक्त निदेशक उच्चतर शिक्षा को ज्ञापन भेजा है। मंच ने कहा है कि 23 मार्च को राज्य मंत्रिमंडल ने फीस के संबंध में जो निर्णय लिया है उसे अभी तक लागू नहीं किया है।
जागरण संवाददाता, शिमला : निजी स्कूलों की फीस को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज सहित निदेशक उच्चतर शिक्षा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा और संयुक्त निदेशक उच्चतर शिक्षा को ज्ञापन भेजा है। मंच ने कहा कि 23 मार्च को मंत्रिमंडल ने फीस के संबंध में जो निर्णय लिया है उसे लागू नहीं किया है। स्कूलों ने जो फीस बुक दी है उसमें ज्यादातर स्कूलों ने यह नहीं दर्शाया है कि ट्यूशन फीस कितनी है और अन्य चार्जेज कैसे वसूले जाएंगे।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि कोरोना संकट में निजी स्कूलों को केवल ट्यूशन फीस लेने का आदेश प्रशंसनीय है। इस निर्णय को धरातल पर लागू करवाने में अभिभावक कई दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। निजी स्कूल प्रबंधन मंत्रिमंडल का निर्णय आने के बाद भी मनमानी कर रहे हैं। अभिभावकों को या तो गुमराह कर रहे हैं या मनमर्जी थोप कर इस आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अभी प्रदेश सरकार व शिक्षा निदेशालय ने कैबिनेट के निर्णय को लागू करने का पूरा सिस्टम भी नहीं बनाया है। निजी स्कूल अभिभावकों को बार बार मैसेज भेजकर अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं। इस निर्णय के क्रियान्वयन में निम्न समस्याएं पेश आ रही हैं।
ज्यादातर स्कूलों ने मार्च से मई की तिमाही की फीस शीतकालीन स्कूलों में 10 मार्च व ग्रीष्मकालीन निजी स्कूल में 10 अप्रैल से पूर्व फीस वसूल ली है। ज्यादातर निजी स्कूलों ने दाखिला फीस, वार्षिक चार्ज व अन्य तरह के चार्ज लौटाने से इंकार कर रहे हैं। मंत्रिमंडल का निर्णय आने के बावजूद वसूली गई फीस को अगली किस्तों में समाहित करने व अभिभावकों को लौटाने से इनकार कर रहे हैं। कई निजी स्कूल कोरोना काल का फायदा उठाते हुए अन्य चार्जेज को हटाकर 90 फीसद फीस ट्यूशन फीस के नाम पर ही फीस बुकलेट में दर्शा दी है।