व्यवस्था में सुराख; बह गया पैसा, ठहरा रहा पानी
हिमाचल प्रदेश में करोड़ों रुपये खर्चने के बावजूद पटरी पर नहीं लौट रहा ड्रेनेज सिस्टम .
हिमाचल प्रदेश में करोड़ों रुपये खर्चने के बावजूद पटरी पर नहीं लौट रहा ड्रेनेज सिस्टम
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-प्रदेश के कई शहरी निकायों में नालों के चैनलाइज नहीं होने से तेज बारिश में घरों और सड़कों में घुस जाता है पानी
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-5.5 करोड़ रुपये हर साल नालियों व गलियों की मरम्मत पर खर्च रहा शहरी विकास विभाग
-55 शहरी निकायों में ऊना शहर के ड्रेनेज सिस्टम में सबसे अधिक खामियां
-22.48 करोड़ जारी हुए थे तीन दिन पहले ऊना के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में ड्रेनेज सिस्टम करोड़ों रुपये खर्चने के बावजूद पटरी पर नहीं लौट रहा है। व्यवस्था में 'सुराख' के चलते पानी सड़कों व गलियों में ठहरा रहता है, जबकि इनकी मरम्मत पर अबतक करोड़ों रुपये बहा दिए गए। प्रदेश के 55 शहरी निकायों में ऊना जिला का ड्रेनेज सिस्टम सबसे खराब हालत में है। अन्य शहरी में भी बहुत से नाले ऐसे हैं, जिनकी चैनलाइजेशन नहीं हुई है। कुछ का प्रस्ताव ही नहीं गया है तो कुछ राशि जारी होने के बावजूद जमीन के विवाद के कारण अधूरे हैं।
शहरी विकास विभाग हर साल साढ़े पांच करोड़ रुपये नालियों, सड़कों और गलियों की मरम्मत के लिए जारी करता है। इसके अलावा पांचवें राज्य वित्त आयोग और 15वें केंद्रीय वित्त आयोग के तहत भी राशि खर्च की जा सकती है। राशि के उपलब्ध होने के बावजूद बारिश का पानी घरों में न घुसे और पानी के रुकने से नुकसान न हो इस तरह के प्रस्ताव कम ही हैं। ऊना के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए तीन दिन पहले ही 22.48 करोड़ की जारी की गई है।
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कई शहरों में पानी भर जाने से चलना भी मुश्किल
नगर निगम शिमला और धर्मशाला में स्मार्ट सिटी के तहत नालों के चैनलाइजेशन के साथ गलियों को सुधारा जा रहा है। जबकि 32 नगर परिषदों और 21 नगर पंचायतों में बहुत से नाले ऐसे हैं, जिसकी सुध आज तक नहीं ली गई है। इनमें बहुत अधिक बारिश होने पर मलबा और पानी सड़क पर आ जाता है। इससे चलना भी मुश्किल हो जाता है। छतों का पानी सबसे बड़ी समस्या
मानसून में खुले में छोड़ा गया मकान की छत का पानी भू-स्खलन का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। इससे कई इमारतें ढह रही हैं और पानी बड़ी आपदाओं को निमंत्रण दे रहा है। प्रदेश के किसी भी शहरी निकाय में इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है। ये बड़े हादसों को भी न्यौता दे रहे हैं। कई जगह वर्षा जल संग्रह के लिए टैंकों का निर्माण आवश्यक किया है, लेकिन मकान पास करवाने के बाद ये खाली ही रहते हैं।
कलस्टर आधार पर बनाए जाने थे टैंक, सिरे नहीं चढ़ी योजना
छतों के पानी के बेहतर इस्तेमाल के लिए कलस्टर आधार पर वर्षा जल संचय टैंकों का निर्माण होना था। यह योजना बहुत ही कारगर है। इससे भू-स्खलन रोकने में मदद के साथ पानी का दोबारा इस्तेमाल होना था। सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों में कुछ दूरी पर इनका निर्माण करना था पर यह योजना आजतक सिरे नहीं चढ़ी।
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प्रदेश में ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए करोड़ों रुपये जारी किए जा रहे हैं। ऊना में स्थिति कुछ ज्यादा खराब है। इसे सुधारने के लिए 22.48 करोड़ की राशि जारी की गई है।
-राम कुमार गौतम, निदेशक, शहरी विकास विभाग।