देश के भविष्य से खिलवाड़ कर रही जयराम सरकार
बीजपी हिमाचल ही नहीं पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र की अनदेखी कर रही है
राज्य ब्यूरो, शिमला : भाजपा ने हिमाचल ही नहीं पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र की अनदेखी कर देश के भविष्य से खिलवाड़ किया है। यह आरोप दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने लगाया। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के आने के बाद पहली बार चुनाव में शिक्षा को लेकर बातें होने लगी हैं। हिमाचल में जयराम सरकार स्कूलों को निरंतर बंद कर रही है। इससे निचले तबके के लोगों के बच्चे शिक्षा से वंचित रह रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को टूटीकंडी क्षेत्र के 'शिक्षा पर जनसंवाद' कार्यक्रम के दौरान प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में शिक्षा बड़ा मुद्दा बनेगा। हिमाचल ने संवाद की नई पहल की है। यह बदलाव का संकेत है। मंत्री पर सीधा प्रहार
मनीष सिसोदिया ने जयराम सरकार के एक मंत्री पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले मंत्री के बेटे की शादी हुई। मंत्री बनने से पहले तक यह भाजपा नेता दो कमरों के मकान में रहते थे। अब बेटे की शादी की 10 बड़ी-बड़ी रिसेप्शन दिल्ली से लेकर शिमला तक दी गई। उन्होंने सवाल किया कि मंत्री के पास इतना पैसा कहां से आया।
आप को दें पांच साल
सिसोदिया ने 'शिक्षा पर जन संवाद' कार्यक्रम के दौरान कहा कि हिमाचल में थोक में उद्योग स्थापित किए गए। उद्योगों का पैसा यदि प्रदेश के विकास पर खर्च किया होता तो सरकार के पास आज स्कूल खोलने के लिए बजट की कमी नहीं होती। आरोप लगाया कि उद्योगों का पैसा भाजपा नेता ले गए हैं। हिमाचल की जनता ने कांग्रेस व भाजपा को इतने साल दे दिए। इस बार पांच साल आम आदमी पार्टी को देकर देखें। प्रदेश के स्कूलों की तस्वीर बदल जाएगी। दिल्ली में 25 प्रतिशत बजट शिक्षा पर खर्च
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जो अपने बजट का 25 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा पर खर्च कर रहा है। दिल्ली में कभी भी शिक्षा के लिए बजट की कमी नहीं पड़ी है। भाजपा ने इतने साल राज किया लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और बच्चों के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। ऐसे स्वच्छ भारत अभियान कैसे चला होगा। जयराम सरकार को घेरा
उन्होंने कहा कि जयराम सरकार ने साढ़े चार साल के दौरान शिक्षा को बर्बाद किया है। हिमाचल में 2015 में सरकारी स्कूलों में 10 लाख बच्चे पढ़ते थे, लेकिन आज यह संख्या कम होकर आठ लाख रह गई है। दूसरी तरफ दिल्ली है बड़े निजी स्कूलों से बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने आ रहे हैं। हिमाचल के 2000 स्कूलों में एक-एक शिक्षक हैं। वहीं 6000 स्कूल ऐसे हैं जहां केवल दो ही शिक्षक हैं। कई स्कूल ऐसे हैं जहां एक शिक्षक पांच-पांच कक्षाओं को पढ़ा रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश में निजी स्कूल लगातार बढ़ रहे हैं, जबकि सरकारी कम हो रहे हैं।