खर्च घटाए, आय बढ़ाए हिमाचल
15वें वित्तायोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने साफ कहा है कि हिमाचल प्रदेश को खर्च घटाकर आय के संसाधन बढ़ाने होंगें ताकि राजकोषीय घाटा कम किया जा सके।
जेएनएन, शिमला: 15वें वित्तायोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने साफ कहा है कि हिमाचल प्रदेश को खर्च घटाकर आय के संसाधन बढ़ाने होंगें ताकि राजकोषीय घाटा कम किया जा सके। राजस्व घाटा कम करने के लिए भी कदम उठाने होंगे। राज्य के खर्च व आय 74 प्रतिशत से अधिक है, इसकी तुलना में आय के साधन नाममात्र हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल में प्राकृतिक व अन्य आपदाओं से होने वाले नुकसान का अध्ययन करने के लिए केंद्र से जल्द टीम भेजी जाएगी। उसकी रिपोर्ट के आधार पर समूचे हिमालयी राज्यों के लिए फंडिंग पैटर्न तय होगा।
शिमला में पत्रकारों से बातचीत में एनके सिंह ने हिमाचल के हितों को ध्यान में रखने का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के सामने कनेक्टिविटी की बड़ी चुनौती है। सड़कों के अलावा रेल विस्तार और हवाई सेवाओं का विस्तार होने से पर्यटन और ग्रामीण विकास की निर्भरता है। जीएसटी लागू होने के बाद दो वर्ष तक केंद्र राज्य के हित सुरक्षित रखेगा। उसके बाद सरकार को अपने संसाधन जुटाने होंगे। शिमला में प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा के बाद 15वें वित्तायोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने साफ कर दिया कि राज्य के सामने पांच चुनौतियां हैं। जिन पर सार्थक पहल करते हुए आगे बढ़ने का ही एकमात्र विकल्प है।
उन्होंने साफ किया कि वस्तु एवं सेवा कर, जीएसटी आने के बाद करों से होने वाली आय का विभाजन कई पहलुओं को ध्यान में रखने के बाद होगा। राजकोषीय जिम्मेदारी एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम) को केंद्र सरकार संशोधित करके राज्य को भेज रही है। उसकी शर्तो का अनुसरण करना पड़ेगा। घाटा कम करना पड़ेगा। एनके सिंह ने भरोसा दिलाया कि आयोग हिमाचल के हितों का ध्यान रखेगा। नवीकरण ऊर्जा की अपार संभावनाओं के बीच में जलविद्युत को विशेष ध्यान देने की जरूरत है, मगर राज्य में सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। पर्यटन से रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं। कई राज्यों ने ऐसा कर दिखाया है, हिमाचल को भी करना चाहिए।
वन संरक्षण के लिए दिया धन एक सवाल पर एनके सिंह ने कहा कि 14वें वित्तायोग ने हिमाचल को वन संरक्षण के लिए धनराशि आवंटित की थी। जहां तक प्रदेश की चीन के साथ सीमाओं का सवाल है तो यह देखना रक्षा मंत्रालय के गृह मंत्रालय का कार्य क्षेत्र है। लेकिन सरकार ने इस मुद्दे को आयोग के समक्ष लाया है, जो कि संवेदनशील है। माना कि राजस्व घाटा अनुदान प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य की इस पर निर्भरता है और आयोग विचार करेगा।
हिमाचल की स्थिति
- जीडीपी 1,36,000 करोड़ है। इसके अनुसार सरकार 4 हजार करोड़ का कर्ज नहीं ले पाएगी।
-सरकार जीएसडीपी के 3 प्रतिशत से अधिक कर्ज नहीं ले सकती।
-राज्य को 40625 करोड़ राजस्व घाटा अनुदान मिल रहा।
-केंद्र सरकार से आय सहित 73 प्रतिशत उपलब्ध है। 27 प्रतिशत का अंतर कर्ज से पूरा करना है हिमाचल को।