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जमीन के खाता नंबर बदलने की जांच शुरू

राजधानी के साथ लगते सरगीण और दोची गांव में करोड़ों रुपये की जमीन की मैमाइश में अनियमितता।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 08:11 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 08:11 PM (IST)
जमीन के खाता नंबर बदलने की जांच शुरू
जमीन के खाता नंबर बदलने की जांच शुरू

जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी के साथ लगते सरगीण और दोची गांव में करोड़ों रुपये की जमीन की पैमाइश में हुई अनियमितता की जांच उपायुक्त ने शुरू कर दी है। तहसीलदार ग्रामीण शिकायत की जांच कर रहे हैं। इसी हफ्ते रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक राजस्व विभाग के फील्ड स्टाफ की संलिप्तता इसमें नहीं मिली है, ऐसे में भूमि मालिकों के खाता नंबर इधर से उधर किस स्तर पर हुए, इसका खुलासा रिपोर्ट आने के बाद ही होगा।

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असल में सरगीण और दोची में करोड़ों रुपये कीमत की जमीन की पैमाइश के दौरान भूमि मालिकों के खाता नंबर इधर से उधर हो गए। लोगों की जमीन भी किसी दूसरे खाते में शिफ्ट हो गई। मालिकाना हक किसी और के नाम होने से हिस्सेदार परेशान हैं। सरगीण गाव के 40 और दोची गाव के 73 हिस्सेदार शामिल हैं। इसमें हिस्सेदार ऐसे भी हैं, जिनका दस्तावेजों में पहले डेढ़ बीघा हक था अब इसकी जगह नौ बिस्वा रह गया। राजस्व विभाग ने सौ बीघा से अधिक इस जमीन की तकसीम भी कर दी है। हिस्सेदारों को जब इस कथित गड़बड़झाले का पता चला तो उन्होंने तत्काल इंतकाल को रद करने के लिए उपायुक्त को शिकायत पत्र सौंपा। तत्कालीन राजस्व अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। इस पूरे प्रकरण में पहले चरण में 40 हिस्सेदारों ने एक संयुक्तशिकायत दी है। इनमें से एक शिकायतकर्ता नारायण सिंह ठाकुर ने कहा कि बंदोबस्त से पहले सरगीण गाव था, लेकिन बाद में दो हिस्सों में बांट दिया। इसमें एक सरगीण और दूसरा दोची गाव हो गया।

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ऐसे लगा पता

दोनों जगह गाव वालों की जमीन है और इसके 100 से भी अधिक हिस्सेदार हैं। एक व्यक्ति ने 28 जनवरी 2017 को तकसीम के लिए आवेदन किया था। उसे पता चला कि उसकी जमीन का मालिकाना हक किसी और के नाम हो गया है। ऐसा एक के साथ नहीं बल्कि कई हिस्सेदारों के साथ हुआ है। आरोप है कि यह सब तत्कालीन राजस्व अधिकारी और कर्मचारियों की वजह से हुआ है, क्योंकि जब उनसे उस समय बात की गई तो उन्होंने कहा था कि तकसीम हो गई अब बाद में तबादला करवा लेना। लोगों ने जमीन के दस्तावेज हासिल किए तो हैरान रह गए। ततीमा से पता चला कि अब जमीन कहीं और है और यह किसी और नंबर पर चढ़ा दी है। हिस्सेदारों ने उपायुक्तसे अपील की है कि जब तक इंतकाल को रद न किया जाए तब तक जमीन के इन खाता नंबरों की रजिस्ट्री करने पर तत्काल रोक लगा दी जाए। न ही इन खाता नंबरों पर ऋण लेने की स्वीकृति दी जाए।

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शिकायत पत्र आया है, इसकी जांच तहसीलदार कर रहे हैं। जल्द ही रिपोर्ट आ जाएगी, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। अगर कर्मचारियों या अधिकारियों ने कोताही बरती है तो सख्त कारवाई होगी। -अमित कश्यप, उपायुक्त, शिमला।


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