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पंखों से नहीं हौंसलों से भरी जाती है उड़ान

राजधानी के रिज मैदान से रविवार को बीएसएफ और आदित्य मेहता फाउंड

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 08:53 PM (IST)Updated: Sun, 05 Aug 2018 08:53 PM (IST)
पंखों से नहीं हौंसलों से भरी जाती है उड़ान
पंखों से नहीं हौंसलों से भरी जाती है उड़ान

जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी के रिज मैदान से रविवार को बीएसएफ और आदित्य मेहता फाउंडेशन ने पैरा इनफिनिटी राइड को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक एसआर मरड़ी और सीमा सुरक्षा बल पश्चिमी कमान के अतिरिक्त महानिदेशक कमल नयन भी मौजूद रहे।

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पांच से 15 अगस्त तक होने वाली इस 700 किलोमीटर लंबी साइकिल रैली में नौ दिव्याग तथा 36 अन्य प्रतिभागी भाग ले रहे हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। मनाली में इस रैली के समापन होगा।

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शरीर की नहीं मन की अक्षमता कमजोर करती है

लोकसभा चुनाव 2014 में हुए दंगों में अपनी टांग गंवा चुके सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर अजय कुमार का कहना है कि व्यक्ति मन से अक्षम नहीं होना चाहिए शरीर की अक्षमता के बावजूद जीत हासिल कर सकता है। व्यक्ति का दिल बड़ा होना चाहिए कुछ करने का जज्बा होना चाहिए तो हमेशा उसे जीत ही मिलेगी। खुशी हो रही है कि इस रैली में भाग लेने का मौका मिला। रोमांच भरे दुर्गम रास्तों से गुजरना एक अनुभव होगा, जिसका पूरा आनंद उठाएंगे।

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कोई काम मुश्किल नहीं : वीरभद्र

वर्ष 2013 में आइडी ब्लास्ट में अपनी टांग गंवा चुके सीआरपीएफ के जवान वीरभद्र सिंह का कहना है कि कोई काम मुश्किल नहीं समझते। देश सेवा में अपनी टांग गंवाई है कोई गम नहीं है। रैली में भाग लेकर दुर्गम रास्तों का आनंद लेंगे और समाज के लिए संदेश देना चाहते हैं कि व्यक्ति चाहे तो वह कुछ भी कर सकता है, बस हौंसले बुलंद होने चाहिए।

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मन की शक्ति हमेशा साथ : हरिंद्र

वर्ष 2012 में पुंछ में माइन ब्लास्ट में टांग गंवा चुके बीएसएफ के जवान हरिंद्र सिंह ने कहा कि मन की शक्ति उनके साथ है और वह हमेशा ही उनके साथ रहती है। उन्हें कभी महसूस नहीं हुआ कि वह अपनी टांग हादसे में गंवा चुके हैं। जीवन को साधारण तरीके से जीते हैं। रैली में भाग लेना गौरव का विषय है। बहुत खुशी इस रैली में भाग लेकर हो रही है।

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संकल्प दृढ़ होना चाहिए : गुरलाल

25 दिसंबर 2015 में जम्मू-कश्मीर में माइन ब्लास्ट में अपनी टांग गंवा चुके जवान गुरलाल सिंह का कहना है कि वह गर्व महसूस करते हैं कि उन्हें इस रैली में भाग लेने का मौका मिला। कोई भी दिव्यांग हो वह सब कुछ कर सकता है, लेकिन उसका संकल्प दृढ़ होना चाहिए।


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