पवन ने कथक व रामचंद्र ने कथकली किया
भाषा एव संस्कृति विभाग द्वारा शिमला के गयेटी थियेटर में आयोजित सांस्कृतिक उत्सव की अंतिम संध्या स्थानीय कलाकार पवन के नाम रही।
जागरण संवाददाता, शिमला : गेयटी थियेटर में शास्त्रीय नृत्य उत्सव की अंतिम संध्या स्थानीय कलाकार पवन के नाम रही। पवन की कथक प्रस्तुति से समूचा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। पवन ने कहा कि कथक का शाब्दिक अर्थ थिरकते हुए कथा कहना है। भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा उत्सव का आयोजन किया गया।
पवन ने कथक की शिक्षा ईला पांडे से ग्रहण की है व वर्तमान में जयपुर घराने के पंडित राजेंद्र गंगानी से नृत्य की बारीकियां सीख रहे हैं। इनकी प्रस्तुति के बाद सोलन से आए मिनाकेतन साहू ने ओडिशी नृत्य किया। उत्सव का समापन केरल से आए गुरु कलामण्डलम रामचंद्र उनिथन की कथकली प्रस्तुति से हुआ। रामचंद्र उनिथन को वर्ष 2016 में संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित किया गया है। उन्होंने अपने नृत्य की प्रस्तुति देश व विदेशों में भी दी है। कार्यक्रम की अंतिम संध्या में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य सचिव बीके अग्रवाल मौजूद रहे। विभाग के निदेशक कुमुद सिंह ने कहा कि इस आयोजन में प्रदेश के कलाकारों को भी समान रूप से मंच प्रदान किया।