लोकनृत्य से संस्कृति के संरक्षण का दिया संदेश
संवाद सूत्र शिमला लोक संस्कृति व सभ्यता किसी भी देश व राज्य की पहचान होती है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सौंपी जाने वाली अमूल्य संपदा है मगर आज पाश्चयत सभ्यता की शौकीन कल की भावी पीढ़ी अपनी लोक संस्कृति से दूर हो रही है
संवाद सूत्र, शिमला : भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला शिमला ने
प्रदेश की लोक संस्कृति व सभ्यता के संरक्षण व संवर्धन के लिए शुक्रवार को गेयटी थियेटरी में जिलास्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता करवाई। प्रतियोगिता दो वर्गो स्कूली छात्र वर्ग व वरिष्ठ कलाकार वर्ग में करवाई गई। कार्यक्रम में एडीएम लॉ एंड आर्डर प्रभा राजीव बतौर मुख्यातिथि शामिल रही जबकि भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक यादवेंद्र पाल विशेष अतिथि जबकि जिला भाषा अधिकारी त्रिलोक सूर्यवंशी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के सभी अतिथियों को सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता में प्रदेशभर से नौ स्कूलों ने भाग लिया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने प्रदेश के सांस्कृतिक नृत्य व संगीत की प्रस्तुति दी। नृत्य ने उपस्थित दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया और खुब तालियां बटोरी। वरिष्ठ कलाकारों ने भी हिमाचल प्रदेश को मंच पर उतारने में कोई कसर नहीं रखी।
प्रतियोगिता में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खलीनी पहल, लक्कड़ बाजार स्कूल दूसरे व रोहड़ू स्कूल तीसरे स्थान पर रहा। वहीं वरिष्ठ कलाकारों में सरस्वती कला मंच ठियोग निर्णायक मंडली पहले, लोक कल्याण मंच ठियोग दूसरे व महासू युवा संस्कृति मंडल चौपाल तीसरे स्थान पर रहा। विजेताओं को मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया। मुख्य अतिथि ने उन्होंने बच्चों व वरिष्ठ कलाकारों की प्रस्तुतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि लोक संस्कृति व सभ्यता को संरक्षित करने के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण करते हुए हम अपनी संस्कृति को भूलते चले जा रहे हैं साथ ही उन्होंने कहा कि दूसरों से सीखना अच्छी बात है पर अपनी संस्कृति को भी याद रखना जरूरी है। कार्यक्रम में मंच संचालन का कार्यभार कुलदीप नाहर व डॉ. हुकुम शर्मा ने संभाला। निर्णायक की भूमिका डॉ. राम स्वरूप शांडिल, डॉ. कुंवर दिनेश सिंह, डॉ. पवन ठाकुर व राजकुमार सकलानी ने निभाई।