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वर्क चार्ज पर दी सेवाओं का मिलेगा पेंशन में लाभ

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले से प्रदेश के हजारों कर्मचारिय

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 07:40 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 05:13 AM (IST)
वर्क चार्ज पर दी सेवाओं का मिलेगा पेंशन में लाभ
वर्क चार्ज पर दी सेवाओं का मिलेगा पेंशन में लाभ

जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले से प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को राहत मिलेगी। उच्च न्यायलय ने वर्क चार्ज के तौर पर दी गई सेवाओं का पेंशन के लिए आंकने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने बेली राम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए।

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इनके अनुसार न्यूनतम पेंशन के लिए यदि सेवाकाल कम पड़ रहा है तो दिहाड़ीदार के तौर पर दी गई 10 वर्ष की सेवा को दो वर्ष नियमित सेवा के बराबर आंका जाए। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी, जोकि ग्रामीण विकास विभाग में ड्राइवर के पद पर कार्यरत था, को इस कारण पेंशन देने से मना कर दिया था कि उसकी वर्क चार्ज सेवा पेंशन के लिए नहीं आंकी जाएगी। न्यायालय ने यह भी पाया कि उसकी तरह कार्य करने वाले कर्मचारी को वर्क चार्ज सेवा को पेंशन के लिए आंकते हुए सभी सेवानिवृत्ति लाभ अदा कर दिए गए। एक ही विभाग में कार्य करने वाले एक ही तरह के कर्मचारियों से भेदभाव नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने विभाग के इस कृत्य को मनमाना व कानून के विपरीत करार दिया।

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क्या है वर्कचार्ज

प्रदेश के सभी विभागों, बोर्ड और निगमों में दिहाड़ीदार नियुक्त होते हैँ। आठ व 10 साल की सेवा के बाद इन्हें वर्क चार्ज बनाया जाता है। इसके बाद इन्हें नियमित किया जाता है। दिहाड़ीदार और वर्क चार्ज के बाद नियमित होने के बाद कई कर्मचारी की पेंशन के लिए न्यूनतम सेवाकाल पूरा नहीं हो पाता।

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वित्तीय लाभ तीन साल प्रतिबंधित करने का फैसला गैर कानूनी : कोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी विभागों द्वारा कर्मचारियों के वित्तीय लाभ अदालत में केस दायर करने से पहले के तीन साल तक प्रतिबंधित करने के मनमाने रवैये को गैर कानूनी ठहराया है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने बालक राम द्वारा दायर याचिका को स्वीकारते हुए स्पष्ट किया कि जब अदालत किसी कर्मचारी के वित्तीय लाभ प्रतिबंधित नहीं करती तो विभाग स्वयं सुप्रीम कोर्ट के जय देव गुप्ता मामले के फैसले को मनमाने ढंग से लगा कर उसके वित्तीय लाभ प्रतिबंधित नहीं कर सकते। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जय देव गुप्ता में दिए फैसले का आधार केवल व्यक्तिगत है न कि व्यापक है।

एक याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने न केवल रिकवरी को नाजायज ठहराया बल्कि बचा हुआ एरियर भी ब्याज सहित देने के आदेश दिए।


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