लड़ाई का कारण हमेशा जाति या धर्म नहीं होता : हाईकोर्ट
दो लोगों के बीच लड़ाई होने का मुख्य कारण हमेशा जाति या धर्म ही नहीं
जागरण संवाददाता, शिमला : दो लोगों के बीच लड़ाई होने का मुख्य कारण हमेशा जाति या धर्म ही नहीं होता, लेकिन फिर भी आमतौर पर इस तरह की लड़ाइयां सांप्रदायिक दंगे का रूप धारण कर लेती हैं। सिरमौर के माजरा में जानलेवा हमले से जुड़े मामले के आठ आरोपितों की जमानत याचिकाएं रद करते हुए उच्च न्यायालय में न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने उपरोक्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उक्त मामले में भी प्रथम दृष्टया इस तरह की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। साथ ही न्यायालय ने निदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं) को आदेश दिए कि वह डॉक्टरों को निर्देश जारी कर बताएं कि आपराधिक मामलों में चिकित्सा कानूनी मामलों (एमएलसी) में टिप्पणियों, निष्कर्षो और राय पर तैयार दस्तावेज को पढ़ने योग्य भाषा में लिखें, ताकि न्यायालय के साथ-साथ अन्य जिन्हें एमएलसी को समझने की जरूरत है, उसे आसानी से समझ सके। कोर्ट ने मामलों की सुनवाई के दौरान पेश की एमएलसी का अवलोकन करते हुए पाया कि एमएलसी न केवल अदालत बल्कि एडवोकेट जनरल व पुलिस अधिकारियों की समझ से भी परे है।