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हिमाचल के हितों की अनदेखी पर उखड़ा विपक्ष, नीयत और नीति पर उठाये सवाल

शीतकालीन सत्र शुक्रवार को हिमाचली हित बनाम गैर हिमाचली हितों पर ही केंद्रित रहा विपक्ष ने सरकार की नीयत और नीति पर भी सवाल उठाये।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 08:27 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 08:27 AM (IST)
हिमाचल के हितों की अनदेखी पर उखड़ा विपक्ष, नीयत और नीति पर उठाये सवाल
हिमाचल के हितों की अनदेखी पर उखड़ा विपक्ष, नीयत और नीति पर उठाये सवाल

शिमला, रमेश सिंगटा। अब तक का शीतकालीन सत्र हिमाचली हित बनाम गैर हिमाचली हितों के इर्द-गिर्द केंद्रित रहा है। पांचवें दिन शुक्रवार को विपक्ष ने हिमाचल प्रदेश सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग विधेयक का न केवल विरोध किया बल्कि हिमाचल ऑन सेल का आरोप भी लगाया। कांग्रेस विधायकों ने सरकार की नीयत और नीति पर गंभीर सवाल खड़े किए।

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आरोप लगाया कि सरकार ने न केवल औद्योगिक क्षेत्र, पूरा हिमाचल ही पूंजीपतियों के लिए खोल दिया है। धारा 118 का जिक्र कर कई तरह के कानून को दरकिनार किया है। हालांकि सरकार विपक्ष के आरोपों को राजनीति से प्रेरित करार दे रही है। सरकार का दावा है कि उसके लिए हिमाचली हित सर्वोपरि हैं। हरियाणा के कुंडली में स्थित राज्य सरकार की बेशकीमती जमीन को बेचने के आरोपों का जवाब खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिया। बकौल जयराम, हिमाचल के हितों की बोली लगाने के आरोपों से वह आहत हैं। वह राज्य की एक-एक इंच की भूमि को बचाएंगे। कुछ समय बाद ही सरकार ने जब विधेयक पारित करना चाहा तो विपक्षी सदस्यों ने मंशा पर सवाल उठाए। किसके तर्कों में कितना दम है और कौन बेदम, इसका फैसला जनता पर छोड़ दिया है। 

कांग्रेस के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधेयक के विरोध में जन आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी। उनका कहना था कि सदन में विधेयक पास करने से पूर्व इसे सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए था। वामपंथी नेता एवं विधायक राकेश सिंघा ने सरकार की नीयत पर शक जताया। इससे पहले विपक्ष ने इन्वेस्टर्स मीट के बहाने भी सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। चार दिन अलग-अलग मुद्दों पर सदन से वॉकआउट किया गया। पांचवें दिन प्रश्नकाल से पहले हरियाणा में जमीन बेचने के फैसले पर सवाल उठाए तो दोपहर बाद उद्योगपतियों को एनओसी में छूट देने से जुड़े विधेयक पर कड़ा रुख अख्तियार किया।

सरकार का एजेंडा कुछ और लग रहा है। सरकारी संपत्ति को ऐसे वक्त में बेच रहे हैं, जब बाजार में मंदी है। विधेयक कई तरह के कानून को सुपरसीड करेगा। यह हिमाचल के हित में नहीं है।

-राकेश सिंघा, माकपा विधायक

पूंजीपतियों के लिए सरकार ने पूरा हिमाचल खोल दिया है। विधेयक के जरिये पूरे प्रदेश को बेचने का रास्ता खोल दिया है। इस पाप में हम लोग भागीदार नहीं बनना चाहते, इस कारण वाकआउट किया।

-मुकेश अग्निहोत्री, नेता प्रतिपक्ष

हिमाचल को बिकने नहीं देंगे। धारा 118 का जिक्र तक नहीं किया और विधेयक के माध्यम से इसका भी उल्लंघन होगी। कांग्रेस पार्टी इसके खिलाफ जन आंदोलन चलाएगी। विधेयक को सिलेक्ट  कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए था। 

-सुखविंदर सिंह सुक्खू, कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष

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