चीन सीमा तक सेना की पहुंच होगी आसान, सेना बनाएगी वैकल्पिक मार्ग; लाहुल-स्पीति से किन्नौर की 55 KM घटेगी दूरी
चीन सीमा तक सेना की पहुंच को सुगम बनाने हेतु वैकल्पिक मार्ग बनेगा, जिससे लाहुल-स्पीति से किन्नौर की दूरी 55 किमी कम होगी। यह सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जिससे सेना की सीमा पर तेजी से तैनाती हो सकेगी और स्थानीय लोगों का यात्रा समय व खर्च भी कम होगा।

भारतीय सेना हिमाचल प्रदेश में सीमांत क्षेत्र तक वैकल्पिक मार्ग बनाएगी। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहुल-स्पीति और किन्नौर में अब सेना को सीमांत इलाकों तक पहुंचने के लिए एक नया और वैकल्पिक मार्ग मिलने जा रहा है। प्रस्तावित बाबा से मूद तक की सड़क बनने के बाद दोनों जिलों के बीच की दूरी करीब 55 किलोमीटर कम हो जाएगी। यह सड़क सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
राज्य सरकार और सैन्य अधिकारियों के बीच इस सड़क परियोजना को लेकर शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में विस्तृत बैठक हुई।
बैठक में सैन्य अधिकारियों की ओर से जानकारी दी गई कि इस सड़क का निर्माण सेना ही करेगी। इससे न केवल सीमा क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती और रसद आपूर्ति आसान होगी, बल्कि पर्यटकों के लिए भी यह मार्ग आकर्षक विकल्प बनेगा।
बाबा-मूद सड़क बनने से सेना सहित स्थानीय लोग भी होंगे लाभान्वित
केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल से बीते कुछ वर्षों में सामरिक सड़कों की संख्या में हर वर्ष औसतन 10-12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि बाबा-मूद सड़क बनने से न केवल सेना को राहत मिलेगी बल्कि लाहुल-स्पीति और किन्नौर में पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ा बल मिलेगा।
चीन के बुनियादी ढांचे को देख सड़क नेटवर्क मजबूत करने में जुटी सरकार
तिब्बत में चीन द्वारा तेजी से हो रहे बुनियादी ढांचे के विकास को देखते हुए केंद्र सरकार सीमा से सटे इलाकों में सड़क नेटवर्क को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दे रही है। लाहुल-स्पीति और किन्नौर जैसे कठिन भौगोलिक इलाकों में सड़कों का जाल बिछाने का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।
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250 से अधिक सड़कें बनाई
राज्य लोक निर्माण विभाग और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की रिपोर्ट के अनुसार अब तक हिमाचल में 250 से अधिक सामरिक सड़कों का निर्माण या विस्तारीकरण कार्य पूरा हो चुका है, जबकि 100 से अधिक परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। इन सड़कों के माध्यम से सेना की सीमांत चौकियों तक तेज और सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित की जा रही है।

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