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हिमाचल पुलिस की टोपी बदली

रमेश सिंगटा, शिमला हिमाचल प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक अब कोई भी नीली

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jan 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jan 2018 03:00 AM (IST)
हिमाचल पुलिस की टोपी बदली
हिमाचल पुलिस की टोपी बदली

रमेश सिंगटा, शिमला

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हिमाचल प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक अब कोई भी नीली टोपी नहीं पहन सकेगा। उन्हें खाकी टोपी ही पहननी होगी। नई व्यवस्था को बटालियनों में लागू कर दिया गया है। थानों व चौकियों में तैनात पुलिस कर्मियों को भी जल्द नए आदेशों का पालन करना होगा। हालांकि डीएसपी से डीजीपी तक के अधिकारियों को इसमें छूट होगी और वे पहले की तरह खाकी वर्दी के साथ नीली टोपी पहन सकेंगे।

पुलिस की टोपी और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। अभी भी टोपी को लेकर हाईकोर्ट में केस चला है जिसे पुलिस कल्याण संघ ने किया है। संघ नीली टोपी का पक्षधर है। कोर्ट में केस विचाराधीन होने के बावजूद पुलिस ने नई व्यवस्था को क्रियान्वित किया है। वर्ष 2010 में हिमाचल में पहली बार पुलिस की वर्दी का रंग बदला। इसे खाकी की जगह नीली किया गया। कांस्टेबल से लेकर डीजीपी तक सबने नीली वर्दी पहनी। इसके साथ टोपी भी नीली थी। तब एएसआइ से इंस्पेक्टर तक को काले बूट व काली बेल्ट पहनाई गई। डीएसपी से डीजीपी रैंक तक के अधिकारियों के बूट व बेल्ट का रंग लाल रखा गया लेकिन पुलिस कल्याण संघ ने वर्दी को हाईकोर्ट में चुनौती दी। संघ ने तर्क दिया कि पुलिस की वर्दी का पुराना पैटर्न बहाल हो। उस समय पुलिस महानिदेशक डीएस मन्हास थे। यह मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के सामने भी उठा। उन्होंने पुरानी व्यवस्था बहाल करने के निर्देश दिए थे। कई वर्षो तक यह विवाद चला। न तो खाकी वर्दी और न ही नीली वर्दी मिली। पांच साल का अरसा इसी विवाद में बीत गया। वर्ष 2015 में पुलिस विभाग ने फिर आदेश दिए और कांस्टेबल से इंस्पेक्टर तक को खाकी टोपी पहनने को कहा गया। संघ ने इस मामले को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समक्ष उठाया। उन्होंने एएसआइ से इंस्पेक्टर तक के कर्मियों के लिए लाल बूट व लाल बेल्ट पहनाए जाने की बात कही। सरकार के निर्देश पर राज्य पुलिस मुख्यालय में एक कमेटी गठित की गई जिसने पुलिस कर्मियों को खाकी टोपी व अधिकारियों को नीली टोपी पहनने की सिफारिश की।

पिछले साल कोर्ट में दी चुनौती

पुलिस कल्याण संघ ने पिछले साल खाकी टोपी को चुनौती दी थी। संघ ने कोर्ट में कहा कि खाकी टोपी वनरक्षकों व सचिवालय के सुरक्षा कर्मियों की भी है। पुलिस की अपनी अलग पहचान के लिए खाकी वर्दी के साथ नीली टोपी होनी चाहिए। इस पर फैसला नहीं आ पाया है।

मुख्यमंत्री के दरबार में गूंजेगा टोपी का मामला

पुलिस कर्मियों को खाकी टोपी पहनाने का मामला अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के दरबार में गूंजेगा। पुलिस कल्याण संघ इस मामले को सरकार के साथ उठाएगा। संघ के अध्यक्ष रमेश चौहान ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री और नए पुलिस महानिदेशक के दखल से इस मुद्दे को जल्द सुलझा लिया जाएगा।


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