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संभलो..गंवाने पड़ सकते हैं 1200 करोड़

राज्य ब्यूरो, शिमला : राज्य बिजली बोर्ड ने प्रस्ताव किया है कि सीमेंट उद्योगों का 30 रुपये प्रति ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Mar 2018 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 14 Mar 2018 03:00 AM (IST)
संभलो..गंवाने पड़ सकते हैं 1200 करोड़
संभलो..गंवाने पड़ सकते हैं 1200 करोड़

राज्य ब्यूरो, शिमला : राज्य बिजली बोर्ड ने प्रस्ताव किया है कि सीमेंट उद्योगों का 30 रुपये प्रति किलो वाट (केवी) रेट बढ़ाया जाए। बिजली के रेट बढ़ाने से जुड़ा यह प्रस्ताव सीमेंट उद्योग को चुभ रहा है। इसका कारण यह है कि हिमाचल में तीन सीमेंट उद्योग बिजली का अधिक शुल्क उठाने की स्थिति में नहीं हैं। इस श्रेणी के उद्योगों की ओर से सरकार के समक्ष तर्क रखा गया है कि राजस्थान व पंजाब में कई प्रकार के दूसरे कर बहुत कम हैं।

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हिमाचल में सस्ती बिजली के कारण ही उद्योग काम करने के लिए आते थे लेकिन अब सरकार ने सस्ती बिजली की सुविधा भी छीन ली है। ऐसे में सीमेंट उद्योग के लिए सालाना करीब 1200 करोड़ रुपये का कर चुकाना संभव नहीं है। सरकार सीमेंट उद्योग से 17 रुपये ड्यूटी लेती है। अन्य उद्योगों से 13 रुपये ड्यूटी ली जाती है। हर प्रकार के कर दूसरे उद्योगों से कमतर लिए जाते हैं मगर सीमेंट उद्योग से हर साल करों का बोझ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि ऐसी परिस्थितियों में नए उद्योग हिमाचल में कैसे आएंगे। राजस्थान व पंजाब में फ्रेट, कर व तेल हिमाचल से सस्ता है। यदि सरकार ने अपना अड़ियल रवैया न बदला तो सालाना 1200 करोड़ रुपये गंवाने पड़ सकते हैं। एशिया में हिमाचल प्रदेश ऐसा एकमात्र राज्य है जहां पर माल भाड़ा ढुलाई यानि फ्रेट रेट 8.50 रुपये प्रति किलोमीटर सर्वाधिक है। सरकार की ओर से घोषित फ्रेट रेट चार रुपये प्रति किलोमीटर है। स्थिति यह है कि प्रदेश में ट्रक यूनियनों पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। प्रदेश में अंबुजा सीमेंट, अल्ट्राटेक और एसीसी सीमेंट तीन कंपनियां हैं। प्रत्येक सीमेंट उद्योग से सरकार को 419 करोड़ रुपये का सालाना कर प्राप्त होता है। इसमें हर प्रकार के कर शामिल हैं। यदि सरकार ने बिजली का व्यावसायिक मूल्य बढ़ाने के संबंध में सार्थक निर्णय नहीं लिया तो सीमेंट उद्योग राज्य से पलायन कर सकता है। दूसरे पड़ोसी राज्यों में फ्रेट, एजीटी और तेल पर होने वाला खर्च 500 रुपये प्रति मीट्रिक टन होता है लेकिन प्रदेश में यह खर्च करीब 1100 रुपये पड़ रहा है।

न बढ़ें बिजली के दाम

उद्योगों के लिए बिजली के दाम नहीं बढ़ने चाहिए। हमने सरकार को एक नहीं, इसके 15-20 ठोस कारण गिनाए हैं। बिजली बोर्ड अपना नुकसान उद्योगों से वसूल करना चाहता है जो उचित नहीं है।

आइएम जेएस सिधू, अध्यक्ष, सीआइआइ हिमाचल चेप्टर

उद्योग बोझ उठाने की स्थिति में नहीं

पड़ोसी राज्य उद्योगों को कई तरह की सुविधाएं देकर निवेश का आमंत्रण दे रहे हैं। ऐसे में बिजली बोर्ड को गंभीरता से विचार करना चाहिए कि उद्योगों की स्थिति को ध्यान में रखा जाए। वर्तमान स्थिति में उद्योग किसी प्रकार का बोझ उठाने की स्थिति में नहीं हैं।

शैलेश अग्रवाल, अध्यक्ष, बीबीएनडीए

अभी 425 रुपये चुकाते हैं

इस समय तीनों सीमेंट प्लांट 425 रुपये प्रति केवी भुगतान करते हैं। बिजली बोर्ड ने 30 रुपये प्रति केवी शुल्क बढ़ाने की सिफारिश की है।

सीमेंट नेगेटिव लिस्ट से बाहर

पंजाब सरकार ने सीमेंट उद्योग को नेगेटिव लिस्ट से बाहर कर दिया है। हिमाचल में सीमेंट अभी तक इस श्रेणी में शामिल है।


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