ईपीएफ घोटाले में चार्जशीट दाखिल
सीबीआइ ने 108 एंबुलेंस ईपीएफओ घोटाले में चार्जशीट फाइल कर दी है
रमेश सिगटा, शिमला
प्रदेश में 108 एंबुलेंस सेवा चलाने वाली कंपनी के करोड़ों रुपये के गड़बड़झाले में सीबीआइ ने शिमला की एक कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। इसमें आरोपित कंपनी के हिमाचल हेड मेहुल सुकुमारन और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के प्रवर्तन अधिकारी दुर्गा सिंह के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलेगा। चार्जशीट में 890 कर्मियों का आठ करोड़ 63 लाख रुपये डकारने का आरोप है। यह पैसे खाते में जमा नहीं करवाए गए।
सीबीआइ की शिमला ब्रांच में करीब डेढ़ साल तक इस मामले की गहन जांच हुई। इस बीच आरोपित मेहुल ने हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ली। केंद्र सरकार के प्रवर्तन अधिकारी दुर्गा सिंह को घपला दबाने की एवज में रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा गया था। जांच एजेंसी ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से अभियोजन मंजूरी मांगी। जैसे ही यह मंजूरी मिली, कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी। कब हुई गिरफ्तारी
प्रवर्तन अधिकारी दुर्गा सिंह को कंपनी के निरीक्षण का कार्य सौंपा गया। पिछले साल 30 मई को उन्होंने कंपनी का निरीक्षण किया। आरोप है कि उन्होंने ईपीएफ संबंधी देनदारियों को सेटल करने के लिए सवा लाख रुपये में सौदा तय किया। उन्होंने कंपनी के पक्ष में रिपोर्ट तैयार की। 18 जून को पहली किस्त के तौर पर उन्हें 80 हजार रुपये दिए गए। अंतिम किस्त 21 जून को दी जानी थी। शिकायत के आधार पर सीबीआइ ने धर्मपुर में दबिश दी और अधिकारी को रिश्वत लेने के आरोप में 1.25 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया। तब ईपीएफओ और एंबुलेंस सेवा कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया। कंपनी के फाइनांस एवं एचआर हेड रवि कुमार को भी गिरफ्तार किया था।
क्या है आरोप
घोटाले के आरोप सबसे पहले 108 एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन ने लगाए। आरोप है कि कंपनी ने ईपीएफ के नाम पर करोड़ों रुपये डकारे हैं। यूनियन के अध्यक्ष पूर्णचंद के अनुसार कर्मचारियों के हिस्से का ईपीएफ 2013 से काफी कम काटा। कर्मचारियों ने पिछले साल हड़ताल की थी।