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पावर टिल्लर आवंटन मामले में कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार

बागवानों को सबसिडी वाले पावर टिलर आवंटित करने में बरती गई कथित अनियमितताओं के मामले में विजिलेंस ने अपने रूख में बदलाव किया है। पहले एफआइआर दर्ज की और अब केंसलेशन रिपोर्ट तैयार की है। सूत्रों के अनुसार जांच अधिकारी ने केस रद करने की सिफारिश की है। फाइल विजिलेंस ब्यूरो के राज्य मुख्यालय में पहुंची है। जल्द ही यह रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाएगी। मामला 2010-11 का है। लाहुल स्पीति कि बागवानों के लिए बागवानी विभाग ने पावर टिलर खरीदे। 7

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 05:13 PM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 05:13 PM (IST)
पावर टिल्लर आवंटन मामले
में कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार
पावर टिल्लर आवंटन मामले में कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार

राज्य ब्यूरो, शिमला : बागवानों को सबसिडी वाले पावर टिल्लर आवंटित करने में बरती गई कथित अनियमितताओं के मामले में विजिलेंस ने अपने रुख में बदलाव किया है। विजिलेंस ने पहले एफआइआर दर्ज की और अब कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार की है। सूत्रों के अनुसार जांच अधिकारी ने केस रद करने की सिफारिश की है। इस संबंध में फाइल विजिलेंस ब्यूरो के राज्य मुख्यालय में पहुंची है। जल्द ही यह रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाएगी। मामला वर्ष 2010-11 का है।

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लाहुल स्पीति के बागवानों के लिए बागवानी विभाग ने पावर टिल्लर खरीदे थे। इस जिले के बागवानों के लिए 78 टिलर का आवंटन किया गया। आवंटन सप्लायर के माध्यम से हुआ। एक उपकरण की कीमत एक लाख 25 हजार से लेकर एक लाख 55 हजार रुपये तक थी। लाभार्थियों ने केवल 60 हजार रुपये चुकाए और बाकी सरकार ने सबसिडी दी। आरोप है कि सप्लायर ने पहले के पुराने पावर टिल्लर पर ही सबसिडी ले ली। केवल बिल नए थमाए गए। इसमें वैट न चुकाने का भी आरोप था।

लाखों रुपये के गडबड़झाले के आरोपों की विजिलेंस के पास शिकायत आई थी। प्रारंभिक जांच के बाद विजिलेंस ने वर्ष 2013 में कुल्लू में एफआइआर दर्ज की थी। इसमें सप्लायर को नामजद आरोपित बनाया गया। एफआइआर दर्ज करने के बाद गहन जांच की गई। जांच में पाया कि सप्लायर ने गलत तरीके से सबसिडी का लाभ नहीं उठाया। वैट न चुकाने के भी आरोप इसमें साबित नहीं हो पाए हैं।

वहीं, दो तरह की जांच से विजिलेंस सवालों के घेरे में है। अब प्रारंभिक जांच को सही मानें या नई जांच को? अगर आरोप सही नहीं थे तो सरकार ने केस दर्ज करने की स्वीकृति किस आधार पर दी थी? इससे पहले कई मामलों में पहले भी कैंसलेशन रिपोर्ट कोर्ट को भेजी गई लेकिन इनमें से कुछ को कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था। इसे वापस जांच एजेंसी को लौटा दिया गया था।


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