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तीन स्तर पर निरीक्षण से नशे पर चोट

नशीले पदार्थों का रोकने के लिए त्रीस्तरीय निरीक्षण घेरा कार्य कर रहा है। इसके तहत प्रतिबंधित और शेड्यूल एच ड्रग का निरीक्षण किया जाता है। इसमें वह दवाईयां और कैप्सूल आते हैं जिनका उपयोग नशे के लिए युवाओं द्वारा किया जा रहा है। इस त्री स्तरीय घेरे में जहां पर भी खामी पाई जाती है

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 06:36 PM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 06:36 PM (IST)
तीन स्तर पर निरीक्षण से नशे पर चोट
तीन स्तर पर निरीक्षण से नशे पर चोट

राज्य ब्यूरो, शिमला : नशे के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं को लोगों तक पहुंचने से रोकने के लिए त्रिस्तरीय निरीक्षण घेरा है। इसके तहत प्रतिबंधित और शेड्यूल एच दवाओं की बिक्री करने वाली दुकानों का निरीक्षण किया जाता है। खामी पाए जाने पर दवाइयों की संबंधित दुकानों और कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है। नशीले पदार्थो पर अंकुश लगाने का जिम्मा पुलिस के सुपुर्द है। लेकिन स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विनियमन निदेशालय भी ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट और कोटपा के तहत नशे पर लगाम कस रहा है। यह बात स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विनियमन निदेशालय के निदेशक डॉ. नरेश कुमार लट्ठ ने दैनिक जागरण से कही। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश : -स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विनियमन निदेशालय नशे को रोकने में क्या भूमिका निभा रहा है?

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नशे को रोकने के लिए जागरूकता जरूरी है। यह कार्य स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग कर रहा है। यदि कोई नशा करता है तो स्वास्थ्य विभाग की भूमिका उपचार व नशामुक्ति की है। नियम व कानून लागू करने का जिम्मा पुलिस और स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विनियमन निदेशालय पर भी है। -ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत नशीले पदार्थो का अवैध कारोबार रोकने के लिए क्या किया जा रहा है?

युवा केवल बीड़ी, सिगरेट, भांग या तंबाकू का ही नशा नहीं कर रहे हैं। वे नशे के लिए कफ सिरप और प्रतिबंधित दवाओं का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। ऐसी दवाओं को शेड्यूल एच में रखा गया है जो नशे के लिए इस्तेमाल हो रही हैं। इन दवाओं को डॉक्टर की अनुमति के बिना नहीं दिया जा सकता है। त्रिस्तरीय निरीक्षण प्रक्रिया के तहत ऐसी दवाओं की आपूर्ति पर नजर रखी जा रही है। -त्रिस्तरीय प्रक्रिया क्या है?

बाजार में दवाओं की आपूर्ति तभी की जा सकती है जब अधिकृत लैब से पास हों। इसके बाद राज्य के दवा निरीक्षक दवा की दुकानों का निरीक्षण करते हैं। इस दौरान विशेष रूप से शेड्यूल एच के तहत आने वाली दवाइयों का निरीक्षण कर रिपोर्ट देनी होती है। तीसरे स्तर पर केंद्र सरकार के दवा निरीक्षक होते हैं जो सैंपल लेने के साथ निरीक्षण करते हैं।


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