सेवा सेक्टर से दी अर्थव्यवस्था को आक्सीजन
कर्ज के सहारे आगे खिसक रही हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को कोविड 19 के कारण धक्का लगा है। सिर्फ सेवा सेक्टर में ही विकास दिखा
राज्य ब्यूरो, शिमला : कर्ज के सहारे आगे खिसक रही हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को कोविड-19 के झटकों से उबरने में कई वर्ष लगेंगे। कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होने के बाद पर्यटन व औद्योगिक क्षेत्र पटरी पर लौटता प्रतीत हो रहा हो, लेकिन राज्य की आर्थिकी को हुए नुकसान की भरपाई में काफी समय लगेगा। हालांकि सेवा सेक्टर ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को कुछ मजबूती प्रदान की। यह जानकारी नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में दी गई है। इसमें कहा है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तरीके तलाश रही सरकार की कर्ज लेने पर अधिक निर्भरता बढ़ेगी।
विधानसभा के मानसून सत्र में कैग की वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में पेश की। रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि 2020-21 में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर नकारात्मक रही। विकास दर शून्य से 3.87 प्रतिशत नीचे पहुंच गई थी। इसका कारण कोविड-19 महामारी का प्रभाव बताया गया है। कैग ने कहा है कि 2020-21 में 2016-17 के मुकाबले प्रदेश के सभी सेक्टरों की विकास दर नकारात्मक होने का अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। परिवहन और पर्यटन क्षेत्र इससे खासा प्रभावित हुआ। अब अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति की जरूरत होगी।
विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों में पिछड़ता जा रहा हिमाचल
2011-12 से 2020-21 के दशक के दौरान राज्य की विकास दर देश के अन्य विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों की औसत विकास दर से भी कम रही। इस दौरान राज्य की औसत विकास दर 8.89 और अन्य विशेष दर्जा प्राप्त या केंद्र शासित राज्यों की विकास दर 9.71 प्रतिशत रही। कोविड-19 का प्रभाव प्रदेश में प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक सहित सभी सेक्टर पर पड़ा है। प्राथमिक सेक्टर में कृषि, बागवानी, मत्स्य, पशु पालन व खनन जैसी गतिविधियां शामिल हैं। 2016-17 के मुकाबले 2020-21 में प्राथमिक सेक्टर की विकास दर में दो प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज हुई। 2016-17 में प्राथमिक सेक्टर की विकास दर 14.93 थी, जो गिरकर 12.95 प्रतिशत हो गई। द्वितीयक सेक्टर में विनिर्माण, निर्माण, विद्युत जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसका राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 2016-17 के 39.99 के मुकाबले 2020-21 में 37.05 प्रतिशत रहा। तृतीयक सेवा सेक्टर है, जिसका 2020-21 में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान अवश्य बढ़ा है। 2016-17 में इस सेक्टर का योगदान 38.60 प्रतिशत था, जो बढ़कर 43.40 प्रतिशत हो गया।