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सात साल में 700 फीसद बढ़ी बार लाइसेंस फीस

प्रदेश सरकार की नई बार नीति से होटल मालिक खुश नहीं हैं। बार मालिक और होटल मालिकों ने नई नीति का विरोध करना शुरू कर दिया है। इसे लेकर होटल एंड बार एसोसिएशन ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता की। जिसमें एसासिएशन के अध्यक्ष संजय सूद ने कहा कि पिछले सात वर्षों में राज्य सरकार ने बार की लाइसेंस फीस 700 फीसदी तक बढ़ा दी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 07:33 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:57 AM (IST)
सात साल में 700 फीसद बढ़ी बार लाइसेंस फीस
सात साल में 700 फीसद बढ़ी बार लाइसेंस फीस

राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश सरकार की नई बार नीति से होटल मालिक खुश नहीं हैं। बार मालिक व होटल मालिकों ने नई नीति का विरोध शुरू कर दिया है। होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सूद ने कहा कि पिछले सात वर्षो में प्रदेश सरकार ने बार की लाइसेंस फीस करीब 700 फीसद तक बढ़ा दी है। वर्ष 2012-13 में बार की लाइसेंस फीस 50 हजार रुपये थी जो अब तीन लाख 75 हजार रुपये हो गई है।

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संजय सूद ने शिमला में पत्रकारों से कहा कि सरकार ने नई बार नीति के संबंध में यदि आदेश वापस नहीं लिया तो प्रदेश में 90 फीसद बार बंद हो जाएंगे। ऐसा होने पर प्रदेश को करोड़ों रुपये का राजस्व मिलना बंद हो जाएगा। अपनी मांग को लेकर एसोसिएशन के प्रतिनिधि मुख्यमंत्री से मिले हैं जिन्होंने चुनाव के बाद इस समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है। वहीं, एसोसिएशन के सदस्य राजन भारद्वाज ने कहा कि अन्य किसी भी राज्य में बार में शराब बेचने का कोटा नहीं है। लेकिन हिमाचल में बार में शराब बेचने के लिए कोटा तय किया गया है। तय कोटे से कम शराब बेचने पर जुर्माना होता है। अब तीन महीने का कोटा ही फिक्स कर दिया गया है। सरकार ने मांगों को नहीं माना तो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस दौरान शिमला के अलावा अन्य जिलों के बार मालिक भी मौजूद थे। एसोसिएशन की मांगें

-न्यूनतम उठान कोटा को हटाना। सभी के लिए एक ब्लैंकेट कोटा न हो और न ही यह किसी क्षेत्र पर आधारित हो।

-किसी भी एल-1 इकाई से शराब खरीदने की अनुमति मिले।

-शहर के भीतर उत्पाद शुल्क आयुक्त द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए ताकि थोक मूल्य प्राप्त कर सकें।

-आबकारी नीति के तहत कोटे पर जुर्माने की अनुचित लेवी समाप्त हो।

-मालरोड पर अहाता अनुमति देने की नीति बंद की जाए।


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