संगीत आत्मा को शुद्ध करता है : अनुज
संगीत को ईश्वर का दर्जा प्राप्त है, इसलिए इस विधा में शुद्धता और शास्त्रीयत
जागरण संवाददाता, शिमला : संगीत को ईश्वर का दर्जा प्राप्त है, इसलिए इस विधा में शुद्धता और शास्त्रीयता का विशेष महत्व है। एक तरफ जहा योग से मनुष्य शरीर, मन और मस्तिष्क को साधता है, वहीं संगीत हमारी आत्मा को शुद्ध करता है। संगीत का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना ही नहीं है, बल्कि मानव जीवन की आवश्यकताओं में पहला सुख निरोगी काया को प्रदान करना है।
यह कहना है कांगड़ा जिला के निवासी इंडियन आइडल सीजन दो में टॉप थ्री में जगह बनाने वाले अनुज शर्मा का। मुंबई में दस साल से संघर्ष कर रहे गायक अनुज शर्मा ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत की। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े संगीतकारों से मुलाकात होती है। सभी आवाज की तारीफ करते थे, लेकिन कोई मौका ऐसा नहीं मिल रहा था, लेकिन फिर संघर्ष के बाद पहला गाना फिल्म मिसिंग ऑन ए वीक एंड में मिल गया। गाना बेहद ही सुंदर है और दर्शकों ने पंसद किया। इंडियन आइडल ने मंच दिया था। सोशल मीडिया के माध्यम से मेरे गानों को काफी सराहा जा रहा है। पंजाबी फिल्म के लिए भी दो गाने गाए हैं। इसमें एक खुद लिखा है। जल्द एक अन्य गाना लांच होने वाला है।
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रैहन में हुई स्कूल की पढ़ाई
अनुज शर्मा ने कहा कि उनकी प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रैहन में हुई थी। संगीत सीखना शुरू करने के लिए उन्होंने जीडीसी कॉलेज देहरी में प्रवेश लिया। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एक इंटर कॉलेज प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ गायक का पुरस्कार जीता था। संगीत में स्नातक की डिग्री के दौरान कुछ हिमाचली लोक एलबम में काम किया। स्नातक की डिग्री पूरा करने के बाद गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर चला गया, जहा प्रतियोगिताओं को जीतने का क्रम जारी रखा। विश्वविद्यालय के अध्ययन के बाद नई दिल्ली में मीडिया मेट्स में संगीत लेखक का डिप्लोमा लिया।
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भाई ने दिया था संगीत सीखने का सुझाव
अनुज ने बताया कि क्रिकेट खेलने के साथ कार्टून देखना और किताबें पढ़ने में आनंद मिलता है। फिटनेस पर विशेष ध्यान देता हूं। पिता योगराज शर्मा सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। अनुज के बड़े भाई मनोज ने जमा दो कक्षा पास करने के बाद सुझाव दिया था कि आगे की पढ़ाई संगीत में करे।