खेतों में पसीना बहाते अन्नदाताओं को सुरक्षा कवच
राज्य ब्यूरो, शिमला : खेतों में पसीना बहाते अन्नदाताओं को सुरक्षा कवच जारी रहेगा। अगर कृषि
राज्य ब्यूरो, शिमला : खेतों में पसीना बहाते अन्नदाताओं को सुरक्षा कवच जारी रहेगा। अगर कृषि उपकरणों के इस्तेमाल से उनकी मौत हो जाए तो वारिसों को डेढ़ लाख का बीमा व जख्मी होने पर 50 हजार तक की आर्थिक मदद मिलेगी। इस संबंध में जयराम सरकार ने पूर्व कांग्रेस सरकार की मुख्यमंत्री किसान एवं खेतीहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना को जारी रखने का फैसला लिया है। कृषि विभाग ने इस पर अमल करना भी शुरू कर दिया है। यह योजना राज्य के बजट से वर्ष 2015-16 में आरंभ हुई थी। दो वर्ष के भीतर 53 किसान परिवारों को लाभ पहुंचा। इसमें 17 लाख 20 हजार की धनराशि मुआवजे के रूप में दी गई।
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कितना मिलता है मुआवजा
मृत्यु होने पर मुआवजे के रूप 1.5 लाख, स्थायी रूप से अपंग होने पर प्रभावित को 50,000 तथा आशिक स्थायी रूप से अपंग होने पर प्रभावित को 10,000 से 40,000 तक की सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना में उन किसानों तथा खेतीहर मजदूरों को मुआवजा मिलेगा, जिनकी आयु 14 वर्ष से अधिक हो। कृषि औजार खेत में प्रयोग के दौरान अथवा कृषि मशीनरी को खेत से घर और घर से खेत ले जाते हुए किसी दुर्घटना की वजह से घायल हुए हों या मृत्यु हुई हो। इसमें उन किसानों तथा खेतीहर मजदूरों को भी शामिल किया जाएगा, जिनकी मृत्यु अथवा विकलागता नलकूप, बोरवेल, पंपित सेट लघु लिफ्ट इत्यादि को स्थापित या संचालित करते समय हुई हो।
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कहां करें आवेदन
मृतक के कानूनी वारिस या दुर्घटनाग्रस्त किसान को घटना से दो माह के भीतर संबंधित ब्लॉक के विषय विशेषज्ञ को दावे के लिए आवेदन जमा करवाना होगा। वास्तविक कारणों के आधार पर चार माह तक कृषि निदेशक को और छह माह तक सचिव कृषि को देरी से आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। दावे की राशि सभी तरह से पूर्ण आवेदन प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर वितरित कर दी जाएगी।
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यह योजना पहले की तरह जारी रहेगी। इसमें किसानों को किसी भी प्रकार का प्रीमियम नहीं देना होगा। किसान सुरक्षित होकर खेतों में कार्य कर सकेंगे।
-डॉ. देसराज, कृषि निदेशक।