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लुढ़का तापमान, पाइपों में पानी जाम

समर नेगी रिकांगपिओ जनजातीय जिला किन्नौर में दो दिन से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात व निच

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 04:30 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 04:30 PM (IST)
लुढ़का तापमान, पाइपों में पानी जाम
लुढ़का तापमान, पाइपों में पानी जाम

समर नेगी, रिकांगपिओ

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जनजातीय जिला किन्नौर में दो दिन से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात व निचले क्षेत्रों में हो बारिश के बाद मंगलवार को मौसम साफ होने से तापमान में भारी गिरावट आ गई है। पर्यटन स्थल छितकुल, रक्षम, सांगला, चांसु कल्पा, नाको, नेसंग, कुनु चारंग, आसरंग, हांगो व जिला के 20 फीसद स्थानों में अधिकतम व न्यूनतम तापमान रात के समय माइनस में पहुंच गया है। इन क्षेत्रों में तापमान जमाव बिदू से नीचे जाने के कारण पेयजल पाइप लाइन में पानी जमने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। यही नहीं इन क्षेत्रों में जलस्रोत भी जमने लगे हैं। लोगों को बर्फ पिघलाकर पानी की कमी को पूरा करना पड़ रहा है। कुछ लोग पाइपों को आग से गर्म कर पानी की सप्लाई को सुचारु कर रहे हैं।

जिला किन्नौर क्षेत्र की सीमा का आखिरी गांव छितकुल का अधिकतम तापमान -2 और न्यूनतम तापमान -13 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। किन्नौर में ऊंचाई वाले क्षेत्र पूरी तरह से बर्फ की सफेद चादर ओढ़े हुए है। इस बर्फबारी से समूचा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आ गया है व मंगलवार को मौसम साफ होने के बावजूद लगातार बर्फीली हवाएं चलती रही। फिलहाल बर्फबारी के बाद सुबह से ही धूप खिलने से जनजीवन सामान्य हो गया है। बर्फीली हवाओं के चलने से लोगों को अभी भी ठंड से निजात नहीं मिल रही है।

बागवानों में सेब फसल अच्छी होने की उम्मीद बढ़ी

बर्फबारी व तापमान में आई गिरावट को जिले के किसान-बागवान काफी फायदेमंद मान रहे हैं। उनका मानना है कि अभी हुई बारिश व बर्फबारी सेब व अन्य नकदी फसलों के लिए नाकाफी है लेकिन इससे सेब की नकदी फसल की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद अवश्य जगी है। इसके साथ सेब के लिए चिलिग आवर्स मिलने की भी उम्मीद बढ़ गई है।

बारिश व बर्फबारी ने बढ़ा दी परेशानी

जिला किन्नौर में एक तरफ बर्फबारी व बारिश फायदेमंद होती है तो दूसरी ओर कई परेशानियों को भी साथ लेकर आती है। बर्फबारी से तापमान के माइनस में चले जाने से पूरे इलाके में बर्फीली हवाएं चलने से पूरा क्षेत्र ठंड की चपेट में आ गया है। अब यहां लोगों को पेयजल किल्लत से जूझना पड़ रहा है। तापमान में आई गिरावट से प्राकृतिक जलस्रोत जमने लगे हैं।


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