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अधिकारियों और मंत्रियों की गाड़ियां में सायरन या हूटर का प्रयोग गैरकानूनी, आदेश का हो पालन

हिमाचल हाइकोर्ट द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री मंत्रियों के वाहनों में सायरन या हूटर का प्रयोग गैरकानूनी है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 09:11 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 09:11 AM (IST)
अधिकारियों और मंत्रियों की गाड़ियां में सायरन या हूटर का प्रयोग गैरकानूनी, आदेश का हो पालन
अधिकारियों और मंत्रियों की गाड़ियां में सायरन या हूटर का प्रयोग गैरकानूनी, आदेश का हो पालन

शिमला, जेएनएन। मुख्यमंत्री, मंत्रियों व हिमाचल में अहम पदों पर आसीन अधिकारियों द्वारा गाड़ियों में सायरन या हूटर का प्रयोग किए जाने को प्रदेश हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव, प्रधान सचिव परिवहन और सचिव गृह को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने उक्त आदेश पारित किए। एसोसिएशन ने अदालत के ध्यान में लाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार गाड़ियों में सायरन या हूटर का इस्तेमाल किया जाना गैरकानूनी है। राज्य सरकार के अहम पदों पर आसीन अधिकारियों और मंत्रियों की गाड़ियां में सायरन या हूटर के साथ सड़कों पर दौड़ती हैं। प्रार्थी एसोसिएशन ने दलील दी है कि जिस राज्य के मुख्यमंत्री ने अपनी तीन कारों में सायरन या हूटर लगा रखा हो तो क्या अपेक्षा रखी जा सकती है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाए।

सूचना के अधिकार के तहत ली गई जानकारी से पता लगा है कि सचिवालय की 42 गाड़ियों में सायरन व हूटर लगाया गया है। इनमें से तीन गाड़ियां मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की हैं। प्रार्थी एसोसिएशन ने अदालत से गुहार लगाई कि मुख्य सचिव को आदेश दिए जाएं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए इन सभी गाड़ियों के सायरन या हूटर को तुरंत हटाया जाए और इनके प्रयोग को किसी भी ओहदे वाले व्यक्ति द्वारा किया जाना गैरकानूनी करार दिया जाए। मामले पर सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।

शिक्षा सचिव व उच्च शिक्षा निदेशक हाईकोर्ट में तलब

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न करने पर शिक्षा सचिव व उच्च शिक्षा निदेशक को हाईकोर्ट के समक्ष हाजिर होने के आदेश जारी किए गए हैं। न्यायालय ने इन दोनों से पूछा है कि क्यों न उन्हें दंडित किया जाए। मामले पर सुनवाई चार अक्टूबर को होगी। उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से भेजी सूचना के अनुसार बताया गया था कि हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय को एडवाइजरी डिपार्टमेंट के साथ देखा जा रहा है। उन्हें इस संबंध में दो माह का अतिरिक्त समय दिया जाए। न्यायाधीश विवेक ठाकुर ने शिक्षा निदेशक द्वारा भेजी सूचना का अवलोकन करने के बाद कहा कि शिक्षा विभाग हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय का पालन करने में बेवजह देरी कर रहा है। हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय अंतिम रूप ले चुका है। न्यायालय ने शिक्षा विभाग द्वारा भेजी सूचना को अवमानना के दायरे में पाते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए।

अवमानना याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी इकबाल सिंह को प्रदेश उच्च न्यायालय ने 20 अप्रैल 2007 से जूनियर असिस्टेंट पद पर नियमित तौर पर तैनात करने के आदेश जारी किए थे। न्यायालय ने सभी सेवा लाभ दो माह के भीतर दिए जाने के आदेश दिए थे। 

प्रार्थी का आरोप था कि शिक्षा विभाग उच्च न्यायालय के निर्णय का पालन करने के लिए बहाने बना रहा है। प्रार्थी निजी प्रबंधन द्वारा चलाए जा रहे कांगड़ा जिला के चंद्रधर गुलेरी डिग्री कॉलेज हरिपुर में कार्य कर रहा था। इस कॉलेज को 20 अप्रैल 2007 को राज्य सरकार ने अपने अधीन ले लिया था।

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