बिजनौर से 11 साल पहले लापता हुई लड़की शिमला में मिली
2007 में पूजा घर पर अकेली थी। घर की चाभी पूजा के पास थी, लेकिन घूमते घमूते ट्रेन में बैठ गई थी। इसके बाद वह मुंबई पहुंच गई।
जागरण संवाददाता, शिमला। उत्तर प्रदेश के बिजनौर से 11 साल पहले लापता छात्रा अपने परिजनों से मिल गई। टूटीकंडी बालिका आश्रम प्रबंधन और चाइल्ड लाइन हेल्पलाइन की मदद से लड़की अपने परिजनों से मिल पाई है। पूजा नामक लड़की बिजनौर के चांदपुर क्षेत्र की रहने वाली है। वह 2012 से हिमाचल के आश्रमों में रही थी। वह बालिका आश्रम टूटीकंडी के स्टाफ का हर पल यही चैलेंज करती थी कि मेरे माता-पिता को आप ढूंढ नहीं सकते, लेकिन उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसका यह चैलेंज हकीकत में ही विभाग बदल देगा।
2007 में पूजा घर पर अकेली थी। घर की चाभी पूजा के पास थी, लेकिन घूमते घमूते ट्रेन में बैठ गई थी। इसके बाद वह मुंबई पहुंच गई। पांच साल तक पूजा मुंबई में ही घूमती रही, लेकिन इसी दौरान वह एक दिन मुंबई पुलिस के पास पहुंच गई। जब पुलिस ने छानबीन शुरू की तो इसने अपना घर चांदपुर बताया, लेकिन राज्य के बारे में पुलिस को नहीं बताया।
मुंबई पुलिस ने चांदपुर न समझकर रामपुर मानते हुए इसे हिमाचल प्रदेश भेज दिया। यहां दुर्गापुर आश्रम में रखा गया। 2012 तक इसी आश्रम में पूजा रही और पढ़ाई करती रही, लेकिन 2012 में बालिका आश्रम टूटीकंडी (शिमला) में पढ़ाई के लिए भेजा गया। यहां पर मौजूद स्टाफ से पूजा से धीरे-धीरे घुलने मिलने लगा। पूजा हमेशा स्टाफ को कहती थी कि आप मेरे परिवार को नहीं ढूंढ पाओगे। आपको खुला चैलेंज है। लेकिन बीते सप्ताह पंचकूला की रहने वाली एक लड़की को आश्रम वालों ने उसके परिजनों से मिलवा दिया। यह देखकर पूजा को लगने लगा कि उसके परिवार को ढूंढ देंगे।
तब उसने आश्रम की अधीक्षक नर्वदा को बताया कि मेरे पापा का नाम सुशील और मां का नाम रानी है। मेरे घर के समीप रेलवे स्टेशन है। वहीं मैंने दो ट्रेन बदली थीं। इसके बाद आश्रम प्रबंधन ने विभाग से मिलकर मुंबई पुलिस से संपर्क किया, जहां पर पूजा पहले मिली थी। फिर चांदपुर ढूंढना शुरू किया तो बिजनौर के समीप वह जगह मिल गई जहां का हवाला पूजा दे रही थी। पुलिस की टीम और चाइल्ड हेल्पलाइन की मदद से पूजा के घर पर पहुंचे। जहां से ढेर सारी तस्वीरें लेकर टीम परिजनों के साथ शिमला पहुंच गई। पहले ये सारे फोटो पूजा को दिखाए गए तो पूजा ने सारे फोटो पहचान लिए।
अपने भाई छोटी बहन को भी पहचान लिया। इसके बाद विभाग ने उक्त बेटी को परिजनों को सौंपने की सारी प्रक्रियाएं शुरू की। विभाग की मंजूरी के बाद बेटी परिजनों को सौंप दी गई। 11 साल बाद बेटी मिलने के बाद मां बाप के खुशी के आंसू थम ही नहीं रहे हैं। उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था कि बेटी उन्हें मिल भी पाएगी। पूजा अपने घर पहुंच गई है। घर पहुंची पूजा ने आश्रम की अधीक्षक नर्वदा से फोन पर बात करते हुए बताया कि वह काफी खुश है, लेकिन अभी पूरी तरह मन नहीं लगा है।