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रेणुका बांध प्रोजेक्ट को केजरीवाल की संजीवनी

सिरमौर में प्रस्तावित रेणुका बांध प्रोजेक्ट पर आखिरकार दिल्ली सरकार मेहरबान हो गई है। सारकार पावर कंपोनेंट का 90 फीसद पैसा वहन करेगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 09:02 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 09:02 PM (IST)
रेणुका बांध प्रोजेक्ट को
केजरीवाल की संजीवनी
रेणुका बांध प्रोजेक्ट को केजरीवाल की संजीवनी

राज्य ब्यूरो, शिमला : सिरमौर में प्रस्तावित रेणुका बांध प्रोजेक्ट पर आखिरकार दिल्ली सरकार मेहरबान हो गई है। केजरीवाल सरकार इस प्रोजेक्ट के पावर कंपोनेंट (विद्युत घटक) का 90 फीसद पैसा वहन करने को तैयार हो गई है। यह हिस्सा 275 करोड़ रुपये का 90 फीसद होगा। इस संबंध में बुधवार को दिल्ली में अहम बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय भूतल, जल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने की। बैठक में हिमाचल से मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय कुंडू ने शिरकत की।

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कुंडू पहले जल संसाधन, नदी विकास, गंगा सरंक्षण मंत्रालय में सेवाएं दे रहे थे। उनकी पूर्व सेवाओं का भी राज्य को लाभ हुआ है। अब प्रोजेक्ट निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। 148 मीटर ऊंचा बनेगा बांध

रेणुका में गिरी नदी पर 148 मीटर ऊंचा बाध बनाया जाएगा। इसकी जल भंडारण क्षमता 498 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी। इसके पावर हाउस से 40 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परियोजना के अंतर्गत बिजली उत्पादन के पूर्ण अधिकार हिमाचल के पास रहेंगे। 4600 करोड़ आएगी लागत

वर्ष 2015 के लागत अनुमान के आधार पर परियोजना की लागत 4600 करोड़ रुपये है। इसमें से जल घटक 4325 करोड़ रुपये जबकि बिजली घटक 275 करोड़ रुपये होगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि परियोजना के जल घटक का बंटवारा केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 90:10 के अनुपात में किया जाएगा। जल घटक के 10 प्रतिशत हिस्से को लाभान्वित होने वाले राज्य वहन करेंगे। हिमाचल प्रदेश कुल जल हिस्से के 3.15 प्रतिशत का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होगा। जल प्रयोग के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। हिमाचल को अपने 3.15 प्रतिशत हिस्से को उपयोग करने के लिए किसी अनापत्ति प्रमाणपत्र की भी आवश्यकता नहीं होगी। राज्य सरकार के पास अनुपयोगी जल को किसी अन्य राज्य को बेचने का भी अधिकार होगा। भू-अधिग्रहण लागत वहन करने को सैद्धांतिक मंजूरी

केंद्र सरकार ने परियोजना की सभी भू-अधिग्रहण लागत को वहन करने को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है। इसमें वन, पर्यावरण व पारिस्थितिकीय लागत शामिल है। पहले मिले हैं 446 करोड़ रुपये

जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्रालय ने हिमाचल को पहले ही 446.96 करोड़ रुपये करीब दो साल पहले जारी किए हैं। शेष राशि के भुगतान के लिए भी केंद्र सरकार तैयार है। यह भी निर्णय लिया गया कि इस उद्देश्य के लिए मंत्रालय आवश्यक कैबिनेट नोट तैयार करेगा।


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