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हिमाचल की 30 हजार इमारतें रेड जोन में

प्रदेश की तीस हजार इमारतें रेड जोन यानी भूकंप काने पर ताश के पत्तों की ढह जाएंगी। ऐसी बन चुकी इमारतों को भूकंपरोधी बनाना बड़ी चुनौती है जिससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 09:54 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 06:33 AM (IST)
हिमाचल की 30 हजार इमारतें रेड जोन में
हिमाचल की 30 हजार इमारतें रेड जोन में

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल की 30 हजार इमारतें रेड जोन (खतरे की श्रेणी) में हैं। ये इमारतें भूकंप आने पर ढह सकती हैं। ऐसी बन चुकी इमारतों को भूकंपरोधी बनाना बड़ी चुनौती है जिससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके। यह बात आइआइटी मुंबई के प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति ने शिमला में आपदा जोखिम न्यूनीकरण की चुनौतियों विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही।

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उन्होंने कहा कि आपदा से भवनों को सुरक्षित करने के लिए जरूरी है कि भवन फीस के आधार पर नहीं बल्कि मजबूती के आधार पर पास किए जाएं। भूकंपरोधी तकनीक को सख्ती से लागू किया जाए। तीन लाख इमारतों में से तीन हजार भवनों की मजबूती को लेकर समीक्षा करना जरूरी है। कंक्रीट के जंगलों की अपेक्षा परंपरागत तकनीक से लकड़ी के भवन बनाने की जरूरत है।

प्रदेश के सरकारी भवन जो बहुत पुराने हो चुके हैं, उन्हें सबसे पहले मजबूत करने की जरूरत है। लकड़ी की खेती या वुड फार्मिग भी शुरू करने की जरूरत है ताकि इमारतों में लकड़ी का ज्यादा इस्तेमाल हो सके। विशेषज्ञों ने अभी जो भवन निर्माण की तकनीक अपनाई जा रही है, उसे अवैज्ञानिक बताया। आइआइटी मंडी के प्रोफेसर वरुण दत्ता ने कहा कि प्रदेश में भूस्खलन की पहले चेतावनी देने वाले उनकी ओर से तैयार सस्ते उपकरण 15 जगह लगाए गए हैं। मिट्टी की अंदरूनी हलचल के संबंध में ऐसे उपकरण एक सप्ताह पहले जानकारी दे सकते हैं।


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