पहाड़ बन गया नशे का बड़ा बाजार
हिमाचल में देश के कई राज्यों के लिए तस्करी होती थी लेकिन अब यहां ड्रग्स की खपत भी बढ़ गई है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। पहाड़ी राज्य हिमाचल में नशे का नया ट्रेंड सामने आया है। पहले प्रदेश को चरस की सप्लाई करने वाला प्रमुख राज्य गिना जाता था। वजह यह थी कि यहां से देश के कई राज्यों के लिए तस्करी होती थी। अब तस्करी तो ही रही है, साथ ही राज्य में नशे का बड़ा बाजार पैदा हो गया है। अब यहां ड्रग्स की खपत भी बढ़ गई है और ड्रग्स क्राइम में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
चरस के अलावा सिंथेटिक ड्रग्स चिट्टे का चलन भी बढ़ गया है। इसकी जद में सभी जिला आ गए हैं। इस अवैध धंधे में सबसे अधिक संलिप्तता नाइजीरिया मूल के नागरिकों की पाई जा रही है। यह विदेशी पहाड़ी राज्य में भी जाल बिछा चुके हैं। हालांकि कई विदेशी तस्कर पुलिस की गिरफ्त में आए हैं और कई रडार पर हैं। प्रदेश में एनडीपीएस एक्ट के पांच साल में 4547 मामले सामने आए हैं।
हैरत है कि हर साल इनमें बढ़ोतरी हो रही है। 2014 में 644, 2015 में 622, 2016 में 929, 2017 में 1010 और 2018 में 1342 मामले दर्ज किए गए। बीते साल कांगड़ा जिले में सबसे ज्यादा नशे के केस पकड़े गए। इसके बाद कुल्लू, शिमला, मंडी, ऊना, बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, बद्दी- बरोटीवाला-नालागढ़, सिरमौर, सोलन रहा। एनडीपीएस केसों में पकड़े आरोपित वर्ष, भारतीय, विदेशी 2013,592,91 2014,740,15 2015,723,06 2016,1079,06 2017,1205,16
किस देश के नागरिक हैं तस्कर
नाइजीरिया, इजराइल, इग्लैंड, फ्रांस और नेपाल जैसे कई देशों के तस्कर हिमाचल में सक्रिय हैं। तस्करी करने वालों में विकसित देशों के नागरिक भी संलिप्त रहे हैं। कुल्लू के कसोल में इजराइली नागरिकों की सक्रियता ज्यादा है। नारकोटिक्स कंट्रोल करने वाली एजेंसियों ने पाया कि वहां कई ढाबों में हिबरू भाषा में लिखा होता है। इससे वे विदेशी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। बाद में नशे के चंगुल में फंसाया जाता है। नेपाल में भांग पैदा होती है। इससे तैयार की जाने वाली चरस की गुणवत्ता वैसी नहीं होती जैसी कि हिमाचल के मलाणा क्रीम यानी चरस की। इस कारण नेपाली मूल के लोग प्रदेश से इसकी तस्करी करते हैं। वह नेपाल की चरस को भी भारत ले आते हैं। इसमें मलाणा क्रीम मिलाकर इसे नशे के अवैध बाजार में ऊंचे दाम पर बेचते हैं।
पंजाब से आती है सिंथेटिक ड्रग्स
हिमाचल में सिंथेटिक ड्रग्स पंजाब से सप्लाई होती है। इसके अलावा दिल्ली से भी इसकी आपूर्ति होती है। हिमाचल पुलिस के मुताबिक इस धंधे में प्रदेश के युवाओं को भी झोंका जा रहा है। स्थानीय युवा कूरियर की भूमिका निभा रहे हैं। ठीक वैसे ही जैसे चरस मामलों में नेपाली निभाते हैं। इसकी एवज में उन्हें दो दिन में भी हजारों की धनराशि दी जाती है। पैसे के लालच में युवा नशे के सौदागर बन रहे हैं। किस वर्ष कितनी चरस पकड़ी वर्ष,मात्रा किलो में 2013,316 2014,356 2015,283 2016,377 2017,306 2018,470 पिछले साल 1724 आरोपित पकड़े वर्ष 2018 में एनडीपीएस एक्ट के तहत कुल 1342 मामलों में 1724 आरोपित पुलिस के हाथ चढ़े।
राज्य में नशाखोरी रोकने, मांग व आपूर्ति को कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। भांग और अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। संयुक्त रणनीति के तहत पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों के साथ समन्वय किया जा रहा है। सरकार ने कानून को पहले से अधिक सख्त बनाया है।
युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है। आगे भी अभियान जारी रहेगा। पिछले साल पुलिस ने चरस की रिकॉर्ड बरामदगी की है। सिंथेटिक ड्रग्स बेचने वालों पर और कड़ा शिकंजा कसा जाएगा। -एसआर मरडी, डीजीपी, हिमाचल प्रदेश