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बारिश से बागवान चिंतित, रबी फसलों को मिली संजीवनी

प्रदेश में तापमान बढ़ने के बाद शुक्रवार रात से मौसम के तेवरों ने बागव

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 08:39 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 08:39 PM (IST)
बारिश से बागवान चिंतित, रबी फसलों को मिली संजीवनी
बारिश से बागवान चिंतित, रबी फसलों को मिली संजीवनी

यादवेन्द्र शर्मा, शिमला

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प्रदेश में तापमान बढ़ने के बाद शुक्रवार रात से मौसम के तेवरों ने बागवानों को चिंता में डाल दिया है। हालांकि रबी फसलों के लिए बारिश की ये बूंदें संजीवनी की तरह हैं। इन दिनों गर्म इलाकों में बादाम, पलम, खुमानी व आड़ू के पौधों में फूल आ गए हैं। ऐसे में तेज हवा के साथ बारिश से अधिकतर फूल झड़ गए हैं। इससे इन फलों की पैदावार प्रभावित होगी। विशेषज्ञों के अनुसार बारिश और तापमान में गिरावट आने से मित्र कीट कम काम करते हैं और ऐसे में फलों की सेटिंग प्रभावित होती है।

फरवरी में लगातार तेज धूप के कारण न्यूनतम व अधिकतम तापमान सामान्य से पांच से सात डिग्री अधिक दर्ज किया जा रहा था। शुक्रवार की बारिश के बाद न्यूनतम तापमान में तीन से चार डिग्री तक की गिरावट आई है। इस सीजन में कम बारिश होने के कारण रबी फसलें प्रभावित हुई थीं और हमीरपुर सहित कई स्थानों पर पर तो किसानों ने गेहूं को चारे के लिए काटना शुरू भी कर दिया था। हालांकि यह बारिश पर्याप्त नहीं है, लेकिन किसानों को कुछ राहत अवश्य मिली है।

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फरवरी में सामान्य से 83 फीसद कम बारिश

प्रदेश में फरवरी में सामान्य से 83 फीसद कम बारिश हुई है। इसका असर कृषि पर पड़ा है। आठ जिलों बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा, लाहुल-स्पीति, मंडी में फरवरी में 80 फीसद से कम बारिश हुई है। प्रदेश में फरवरी में मात्र 17.5 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि सामान्य तौर पर 105 मिलीमीटर बारिश होती है।

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सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स हो जाएंगे पूरे

सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स कई क्षेत्रों में अभी पूरे नहीं हुए हैं। हालांकि आने वाले समय में इनके पूरे हो जाने की उम्मीद है। सेब के लिए चिलिंग आवर्स उसकी किस्मों पर निर्भर करते हैं। नई किस्में जैरोमाइन, गाला, रेड विलोक्स, अन्ना के लिए 200 से 600 चिलिंग आवर्स की आवश्यकता होती है, जिसमें न्यूनतम तापमान पांच डिग्री तक रहना चाहिए। यह तापमान जितने घंटों तक रहता है उतने चिलिंग आवर्स माने जाते हैं। सेब की पुरानी किस्मों रॉयल, रेड डिलिशियस व अन्य के लिए 1200 से 1600 घंटे चिलिंग आवर्स की आवश्यकता है।

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बारिश और तापमान में गिरावट आने से बादाम, पलम, खुमानी व आड़ू को नुकसान होगा। फलों की सेटिंग में अंतर आता है। जहां तक सेब के चिलिंग आवर्स की बात है, नई किस्मों के लिए कोई ज्यादा प्रभाव नहीं है। पुरानी किस्मों के लिए कुछ स्थानों पर अभी चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हुए हैं।

-डा. जेपी शर्मा, निदेशक बागवानी विभाग।

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बारिश रबी की फसलों के लिए संजीवनी है पर बहुत कम बारिश हुई है। गेहूं, मटर व अन्य सब्जियों को सूखे के कारण नुकसान हो रहा था, कुछ राहत अवश्य मिली है।

-डा. नरेश कुमार, निदेशक कृषि विभाग।


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