बसों में ओवरलोडिग से बढ़ा संक्रमण का खतरा
पुराना बस स्टैंड शिमला में कई लोग बस के इंतजार में खड़े थे। बसों की आवाजाही जारी थी। बस स्
पुराना बस स्टैंड शिमला में कई लोग बस के इंतजार में खड़े थे। बसों की आवाजाही जारी थी। बस स्टैंड पर तारादेवी, संकटमोचन, शोघी, आइएसबीटी, न्यू शिमला सहित शिमला ग्रामीण के विभिन्न क्षेत्रों की ओर जाने के लिए कई बसें खड़ी थीं। अपने तय समय पर बसें गंतव्य की ओर बढ़ रही थीं। ग्रामीण क्षेत्रों को जाने वाली बसों में कम सवारियां नजर आ रही थीं जबकि अन्य बसों में सवारियां लगातार बढ़ रही थीं।
आइएसबीटी, शोघी तारादेवी, समहिल की ओर जाने वाली सरकारी और निजी बसों में ओवरलोडिग हो रही थी। सीटें भर जाने के बावजूद जल्दी के चक्कर में लोग बस में चढ़ रहे थे। ऐसे में कोरोना संकट में बसों में बसों में बढ़ रही भीड़ कोरोना संकट को बढ़ावा दे सकती है।
शिमला में निजी बसों में ही नहीं बल्कि हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की बसों में भी धड़ल्ले से ओवरलोडिग हो रही है। शहर में सुबह और शाम के समय बसों में अधिक ओवरलोडिग होती है।
प्रस्तुति : जागरण संवाददाता, शिमला।
लोग भी नहीं बरत रहे सतर्कता
कोरोना के खिलाफ लोगों ने लापरवाही बरतना शुरू कर दी है। जहां दो-तीन महीने पहले बसों में सवारियां भरने के लिए बस संचालक काफी देर तक स्टॉपेज पर यात्रियों का इंतजार करते थे, वहीं अब लोगों को बैठने के लिए सीटें नहीं मिल रही हैं। लोगों में कोरोना का डर खत्म हो गया है इसलिए खुद के साथ अन्य लोगों में भी संक्रमण फैलने से वे बेफिक्र हो गए हैं। हालांकि बसों में सफर कर रही सवारियां मास्क पहनकर यात्रा कर रही हैं, लेकिन शारीरिक दूरी के नियमों का यहां पर पालन नहीं हो रहा है। मुनाफे के चक्कर में भर रहे सवारियां
बस संचालक अधिक मुनाफे के चक्कर में बसों में ओवरलोडिंग कर रहे हैं। थोड़े से फायदे के चक्कर में बस चालक व परिचालक लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। मौजूदा समय में संजौली, छोटा शिमला, कसुम्पटी, मैहली, ढली, कुफ्टाधार, पगोग, भराड़ी सहित विभिन्न क्षेत्रों की ओर जाने वाली बसों में सुबह व शाम खूब भीड़ रहती है। लोग जल्दी के चक्कर में दूसरी बस का इंतजार करने के बजाय भीड़ वाली बस में चढ़ने से नहीं हिचकिचा रहे। संक्रमण के साथ हादसे का भी डर
शिमला में अधिकतर सड़कें खस्ताहाल हैं। सड़कों पर पड़े गड्ढे हादसों को न्यौता दे रहे हैं। ऐसे में ओवरलोडिग लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है। सड़कें खस्ताहाल होने के साथ भौगोलिक स्थिति अलग होने की वजह से बस हादसों की आशंका रहती है। हालांकि कुछ रूट पर लोक निर्माण विभाग ने पैचवर्क किया है लेकिन अभी भी अधिकतर रूट बदहाल पड़े हैं।