प्रसाद, चुनरी और फल लेकर मंदिर पहुंचे श्रद्धालु
जागरण संवाददाता शिमला शहर के कालीबाड़ी मंदिर के मुख्य गेट के पास दुकानों में 11 महीन
जागरण संवाददाता, शिमला : शहर के कालीबाड़ी मंदिर के मुख्य गेट के पास दुकानों में 11 महीने बाद रौनक दिख रही थी। श्रद्धालु माता के लिए चुनरी और सूखे मेवे खरीदने में व्यस्त थे। हाथ में प्रसाद, चुनरी, फल और मन में आस्था के साथ श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर के भीतर पहुंचे। मुख्य गेट से लेकर गर्भगृह तक श्रद्धालुओं को उचित शारीरिक दूरी के नियम के पालन के साथ ही प्रवेश करने दिया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं से चढ़ावा स्वीकार कर माता को अर्पित किया जा रहा था। मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही जारी थी।
कोरोना के खतरे के बाद अब श्रद्धालुओं को गर्भगृह के समीप प्रवेश दिया जा रहा था। गर्भगृह के भीतर श्रद्धालु माता के दर्शन करते हुए माथा टेक रहे थे। दर्शन के बाद श्रद्धालुओं को चरणामृत के साथ बूंदी और मिसरी प्रसाद बांटा जा रहा था।
मंदिर पुजारी अमलन गोस्वामी ने बताया कि कोरोना के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए मंदिर में पोस्टर और कटआउट लगाए गए हैं। लोगों को मास्क पहनने और उचित शारीरिक दूरी के साथ परिसर में प्रवेश करने के लिए आग्रह किया जा रहा है।
वहीं मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर में चढ़ावा चढ़ाने के लिए उन्होंने लंबा इंतजार किया। हालांकि माता रानी अच्छे भाव से प्रसन्न हो जाती हैं, लेकिन प्रेम भाव को दर्शाने के लिए चढ़ावा जरूरी है। उन्होंने कहा कि माता की कृपा रहने से कोरोना का खतरा कम हुआ है। दुकानदारों को नवरात्र से आस
मंदिर के बाहर चढ़ावे की सामग्री बेचने वाले दुकानदारों के चेहरे भी 11 माह बाद खिले दिखे। उनका कहना है कि पिछले साल मार्च में नवरात्र के समय मंदिर बंद कर दिए गए थे। शारदीय नवरात्र में मंदिर खुले लेकिन चढ़ावा चढ़ाने की अनुमति नहीं थी। इस कारण करीब एक साल से व्यापार पूरी तरह बंद रहा। घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया। अब भगवान की कृपा से हमारा व्यापार खुल पाया है। अब उन्हें नवरात्र से आस है। शहर के अन्य मंदिरों में भी पहुंचे श्रद्धालु
कालीबाड़ी के अलावा गंज बाजार के राधाकृष्ण, श्रीराम, तारादेवी और जाखू मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे। सभी मंदिरों में श्रद्धालु चढ़ावा लेकर पहुंचे। मंदिरों में शारीरिक दूरी के साथ मास्क पहने श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जा रहा था।