ऑडियो मामला: पूर्व भाजपा अध्यक्ष के नजदीकियों पर कस सकता है शिकंजा, इस्तीफे के पीछे था दबाव
Health Director Audio Case ऑडियो वायरल होने के बाद भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल का इस्तीफा प्रदेश में नए समीकरण बना रहा है।
शिमला, जेएनएन। कोरोना काल में हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य निदेशक और एक व्यक्ति के बीच पैसे के लेन-देन की बातचीत का ऑडियो वायरल होने के बाद भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल का इस्तीफा प्रदेश में नए समीकरण बना रहा है। कुछ समय पहले तक विधानसभा अध्यक्ष रहे डॉ. बिंदल जब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बने तो कहा गया था कि अब संगठन तेजतर्रार हाथों में आया है। विधानसभा अध्यक्ष के पद पर वह बंधा हुआ महसूस करते थे, ऐसा उनके नजदीकियों का दावा है। उससे पहले संगठन की हालत यह थी कि सरकार मीडिया को यह बताती थी कि प्रदेशाध्यक्ष जल्द चुन लिया जाएगा।
प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद बिंदल की तेज गति कहीं न कहीं सरकार के समानांतर महसूस की गई। इस बीच जब ऑडियो रिलीज हुआ तो ऑडियो में लेन-देन की बात करने वाले व्यक्ति का इतिहास डॉ. बिंदल और उनके परिजनों के प्रतिष्ठानों के साथ जुड़ा हुआ निकला।
कोई कारण है कि ऑडियो जल्द से जल्द वायरल हुआ, एक शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई। इस बीच, शांता कुमार जैसे नेताओं ने भी सार्वजनिक रूप से निष्पक्ष जांच की मांग की। राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह राज्य के प्रदेशाध्यक्ष पर बना दबाव अंतत: उनके इस्तीफे तक पहुंच गया। यह लगभग साफ ही है बिंदल भले ही इस्तीफे के पीछे उच्च नैतिक आदर्श बता रहे हों, असल में आलाकमान का दबाव था।
वास्तव में बिंदल की रफ्तार से सरकार भी असहज थी। पुख्ता सुबूत अभी सरकार ने अपने पास रखे हुए हैं। इसमें एक आला अधिकारी सरकार की ढाल बना है, जिसे जल्द पुरस्कृत किया जाएगा। विजिलेंस अब स्वास्थ्य सौदों और राजनीति में आपराधिक कोण तलाशेगी।
ऑडियो बनाने वाला रहा था टिकट का तलबगार
ऑडियो बनाने वाले व्यक्ति को रेणुका से पार्टी प्रत्याशी बनाने की भी कसरत चल रही थी, क्योंकि वहां पार्टी गुटों में बंटी हुई है। पार्टी समर्थकों के एक गुट का नेतृत्व पूर्व विधायक हिरदा राम करते हैं। दूसरे धड़े के नेता को पिछली बार टिकट थमाया गया था, लेकिन हार झेलनी पड़ी थी। हालांकि बिंदल ने तब भी किसी पद से इस्तीफा नहीं दिया था, जब उनके खिलाफ नगर परिषद में नियुक्तियों में हुई अनियमितता का मामला उछला था। केस कोर्ट में चल रहा था। पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप के कथित भ्रष्टाचार मामले को सरकार ने वापस नहीं लिया था, लेकिन बिंदल के खिलाफ वह मामला वापस ले लिया जिस पर विजिलेंस ने पुख्ता सुबूत होने का दावा किया था। तब इन मामलों को कांग्रेस का राजनीतिक प्रतिशोध बताया गया था। बहरहाल, पार्टी नए प्रदेशाध्यक्ष की तलाश में है।
विपक्ष को मिला मुद्दा
बेशक मुख्यमंत्री के साथ उनकी ईमानदार छवि जुड़ी है और सरकार ने ऑडियो आते ही संलिप्त लोगों को धर लिया लेकिन विपक्ष को एक मुद्दा तो मिल ही गया है। सच यह है कि सरकार व संगठन साथ-साथ पांच माह भी नहीं चल सके। विपक्ष का तर्क है कि घोटाला सरकार के स्वास्थ्य महकमे में हुआ, तो इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष का क्यों? सवाल यह भी है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ईमानदार छवि और डा. राजीव बिंदल की नैतिकता के बीच कौन है? जयराम कह ही चुके हैं कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस रहेगी जबकि डॉ. बिंदल ने फेसबुक पर वीरवार को पोस्ट किए अपने संदेश में कहा है कि सत्य को अग्निपरीक्षा देनी पड़ती है और वह फिर कुंदन बन कर निकलेंगे।