बजट के अलावा विभाग खर्च सकेंगे सरप्लस 12 हजार करोड़
सरकार ने कोरोना काल में राज्य के सरकारी विभागों को 12 हजार करोड़ रुपये की धनराशि खर्च करने के लिए दी है।यह धनराशि सरकार के विभाग खर्च नहीं कर पाए थे और सरप्लस होकर खड़ी हो गई थी। विभागों को मिली यह धनराशि वार्षिक बजट से अलग होगी। वर्षों से उक्त धनराशि विभागों के पास खर्च किए बिना पड़ी थी। सचिवालय में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में विभागों का यह पैसा खर्च करने के लिए सरकार ने मंजूरी प्रदान की। मंत्रिमंडल की बैठक में तय हुआ कि
राज्य ब्यूरो, शिमला :हिमाचल सरकार ने कोरोना संकट में विभागों को बजट के अतिरिक्त 12 हजार करोड़ रुपये की सरप्लस राशि को खर्च करने को देने का निर्णय लिया है। वर्षों से उक्त राशि विभागों के पास खर्च किए बिना पड़ी थी।
शिमला स्थित सचिवालय में बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में विभागों का यह पैसा खर्च करने के लिए सरकार ने मंजूरी प्रदान की। मंत्रिमंडल की बैठक में तय हुआ कि सभी विभागों पास खर्च किए बिना पड़ा पैसा अब खर्च करने से पहले मुख्यमंत्री और संबंधित विभागों के मंत्रियों से मंजूरी प्राप्त करनी पड़ेगी। उसके बाद मामला मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा के लिए पहुंचेगा, उसके उपरांत विभाग ऐसा पैसा खर्च कर सकेंगे।
कोरोना संकट शुरू होने के बाद राज्य में आर्थिक गतिविधियां बंद होने से सरकार का राजस्व कम हो गया था। आर्थिक गतिविधियों को नए सिर से शुरू करने के लिए जल शक्ति विभाग के मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप-समिति का गठन किया गया। इसके साथ ही सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव राम सुभग सिंह की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन भी हुआ। टास्क फोर्स व मंत्रिमंडलीय उप-समिति की दो संयुक्त बैठकें हुई। मंत्रिमंडलीय उप-समिति की बैठक में पाया गया कि सरकारी विभागों के पास करोड़ों की रकम पड़ी है।
शिक्षा एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि 12 हजार करोड़ से अधिक की राशि लोक निर्माण, जल शक्ति, ग्रामीण विकास विभाग सहित अन्य विभागों के पास सरप्लस है। खनन की 150 करोड़ की रकम भी खर्च नहीं हो सकी है। जिला उपायुक्तों के पास भी करोड़ों की रकम पड़ी है। नाबार्ड, पीएमजीएसवाई जैसी मदों में आबंटित राशि खर्च नहीं हो सकी है। विभागों को इस रकम को खर्च करने से पहले प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी को लाना होगा। सबसे अधिक तीन हजार करोड़ से अधिक की राशि लोक निर्माण विभाग के पास है।