नहीं खर्च पाए 13 हजार करोड़
सरकारी विभागों में प्रशासनिक लचरता के कारण करीब तेरह हजार करोड़ रुपये की धनराशि खर्च नहीं हो सकी। अधिकांश बजट केंद्रीय योजनाओं का है जोकि प्रदेश में धरातल पर नहीं उतर पाया। राज्य कोरोना का सामना कर रहा है और ऐसे में विकास कार्याें के लिए बजट चाहिए। सरकार द्वारा गठित मंत्रिमंडल की उप-समिति ने सरकारी विभागों के पास खर्च किए बिना पड़े बजट का पता लगाया है। जहां पर सबसे अधिक धनराशि खर्च नहीं हो पाया है उन विभागों में लोक निर्माण जल शक्ति स्वास्थ्य शिक्षा पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास पर्यटन वन सहित दूसरे विभाग भी शामिल हैं।
प्रकाश भारद्वाज, शिमला
लचर प्रशासनिक कार्यप्रणाली के कारण 13 हजार करोड़ रुपये से अधिक विकास कार्यो पर खर्च नहीं हो सके। अधिकांश बजट केंद्रीय योजनाओं का है जो प्रदेश में धरातल पर नहीं उतर पाया।
राज्य कोरोना का सामना कर रहा है। ऐसे में विकास कार्यो के लिए बजट चाहिए। मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने सरकारी विभागों के पास बिना खर्च किए बजट का पता लगाया है। लोक निर्माण विभाग, जलशक्ति, स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास, पर्यटन व वन विभाग में यह पैसा पड़ा है। लोक निर्माण विभाग में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च नहीं हो सकी। लोक शक्ति विभाग में पैसा नहीं खर्च हुआ। अकेले पंचायतों में ही 750 करोड़ रुपये खर्च हुए बिना पड़े हैं। शहीर विकास विभाग में भी 700 करोड़ खर्च नहीं हो पाए हैं। मार्च के अंत में कोरोना संकट शुरू होने के कारण वित्त विभाग ने सभी सरकारी विभागों के पास पड़ी राशि को तीन माह तक विभागों को अपने पास रखने के लिए निर्देश दिए थे। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को लताड़ लगाई थी कि यह पैसा कब तक खर्च होगा। यह राशि सभी विभागों को तीन माह के भीतर खर्च करनी होगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव राम सुभग सिंह की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स की ओर से तैयार रिपोर्ट को मंत्रिमंडलीय उपसमिति सरकार के समक्ष रखेगी।
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प्रत्येक ब्लॉक को हर साल मिलते हैं 10 करोड़
सभी जिलों में ब्लॉक कार्यालयों को हर साल 10 करोड़ रुपये प्राप्त होते हैं जो कई कारणों के चलते खर्च नहीं हो पाता है। इसी तरह से बीएमओ और सीएमओ को भी सालाना पैसा मिलता है और खर्च नहीं होता। उदाहरण के तौर पर मोबाइल यूनिटों की शुरुआत नहीं हुई। प्रस्तावित ट्रॉमा यूनिट नहीं बने। शहरी विकास विभाग को चार साल पहले प्रत्येक योजना के लिए 20 करोड़ मिले थे। इस प्रकार की राशि हर वर्ष प्राप्त होती है मगर खर्च नहीं होती। पर्यटन को विकसित करने के लिए उपायुक्तों को सीधे 10-10 करोड़ मिलते हैं।
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केंद्रीय योजनाओं का पैसा
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्राप्त हुआ एक हजार करोड़ से अधिक का बजट खर्च किए बिना रह गया है। इसी तरह से 36 से अधिक केंद्रीय योजनाओं के तहत केंद्र सरकार से हर वर्ष बजट प्राप्त होता है। यदि राज्य सरकार आवंटित राशि को खर्च नहीं कर पाए तो केंद्र के फार्मूले के तहत कटौती होती है।
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इन विभागों में है पैसा
विभाग, खर्च किए बिना पैसा
लोक निर्माण,03 हजार करोड़
जल शक्ति,03 हजार करोड़
पंचायतीराज,1200 करोड़
ग्रामीण विकास,01 हजार करोड़
स्वास्थ्य,02 हजार करोड़
शिक्षा,01 हजार करोड़
पर्यटन,01 हजार करोड़
वन,01 हजार करोड़
शहरी विकास,700 करोड़