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परिवहन सेवा होगी शुरू, पटरी पर आएगी आर्थिकी

हिमाचल प्रदेश का परिवहन महकमे की आर्थिकी फिर से पटरी पर दौड़ेगी। परिवहन सेवाएं जल्द आरंभ होंगी। पहली जून से 6

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 05:11 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 05:11 PM (IST)
परिवहन सेवा होगी शुरू, पटरी पर आएगी आर्थिकी
परिवहन सेवा होगी शुरू, पटरी पर आएगी आर्थिकी

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हिमाचल प्रदेश के परिवहन विभाग की आर्थिकी फिर से पटरी पर दौड़ेगी। परिवहन सेवाएं जल्द आरंभ होंगी। पहली जून से 68 दिन बाद बसें सड़कों पर दौड़नी शुरू हो जाएंगी। इसके लिए विभाग ने पूरी तरह से कमर कस ली है, लेकिन बसों के परिचालन (ऑपरेशन) के दौरान कोरोना की रोकथाम से जुड़े प्रोटोकॉल को सख्ती के साथ लागू किया जाएगा। रात को बसें नहीं चलेंगी। न ही अंतरराज्यीय रूट बहाल होंगे। इन्हें बहाल होने में अभी वक्त लगेगा, लेकिन बसों में यात्रियों को कड़ी सावधानियां बरतनी होंगी। सरकारी और निजी दोनों बस ऑपरेटरों पर नए नियम लागू होंगे। इनका पालना करना ही होगा, अन्यथा कड़ी कार्रवाई होगी। विभाग की किस तरह की तैयारियां हैं, इस संबंध में 'दैनिक जागरण' के संवाददाता रमेश सिगटा ने परिवहन विभाग के निदेशक कैप्टन जेएम पठानिया से बातचीत की। पेश है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

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सीमित यात्रियों के साथ बसें चलाने के लिए क्या प्रबंधन किए गए हैं?

-सामान्य दिनों में भी बसों में औसतन ऑक्यूपेंसी 75 फीसद रहती है। पहले 50 फीसद ऑक्यूपेंसी के साथ सभी बस सेवाएं शुरू करने का सुझाव दिया। इससे निजी बस ऑपरेटरों को केवल 25 फीसद सवारियों का ही नुकसान होता। इसकी भरपाई के दो विकल्प दिए गए। पहला कि बसों का किराया बढ़ाया जाए, दूसरा सरकार इन्हें कोई राहत दें। सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद सरकार ने फिलहाल बसों का किराया न बढ़ाने का फैसला लिया है। तय हुआ कि ऑक्यूपेंसी 60 फीसद रहेगी। इससे निजी बसों को भी ज्यादा नुकसान नहीं होगा। उनके साथ हम वार्ता करेंगे। उनकी मांगों पर विचार होगा और मिलकर कोई न कोई हल हल निकाला जाएगा। टैक्सी सेवा पर जिलों में अलग-अलग व्यवस्थाएं रही, सरकार का आदेश क्या हैं?

-देखिए, कैबिनेट ने तो फैसला कर रखा है, पर अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है। जिलों में उपायुक्तों ने अलग-अलग व्यवस्था की हं। थ्री व्हीलर भी कुल्लू, मंडी व कांगड़ा आदि जिलों में आरंभ कर दिए हैं, लेकिन शिमला में नहीं चल पाए हैं। रात्रि बसें नहीं चलेंगी। लंबे रूट वाली बसें गंतव्य तक कैसे पहुंच पाएगी, क्या रूटों में बदलाव होंगे?

-रात को बसें नहीं चलेंगी। इसके बारे में 31 मई के बाद केंद्र की गाइडलाइन की पालना होगी। सुबह जो बसें कहीं से चलेगी, शाम को तो गंतव्य स्थल पर जरूर पहुंचेगी, चाहे शाम क्यों न हो जाए। लेकिन बसों की रात्रि सेवाएं बंद रहेंगी। प्रदेश के बाहर न बसें जाएंगी और न ही बाहर से बसें आएंगी। अब तक कितना नुकसान हुआ, भरपाई के लिए राहत की क्या उम्मीद है?

लॉकडाउन से परिवहन विभाग और हिमाचल पथ परिवहन निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा है। इनमें 3200 निजी बसों के चालकों, परिचालकों, टैक्सी ऑपरेटरों, टैंपो ऑपरेटरों के वेजिज लॉस 3 करोड़ 28 लाख रुपये प्रतिदिन आंका गया है। सरकार बेरोजगारों को टैक्सी चलाने के परमिट जारी करती है। इसी तरह से टैंपो को भी परमिट मिलते हैं। इनके साथ मोटर मैकेनिक, टायर पंक्चर की दुकानें भी जुड़ी हुई हैं। ये भी बंद रही हैं। गुड्स ट्रांसपोर्ट से संबंधित 50 फीसद ट्रकों की आवाजाही हो रही है, पर यह 50 फीसद बाधित है। इस कारण इन सबकी वेजिज लॉस का आकलन 11 करोड़ रूपये प्रतिदिन किया गया है। सरकारी बसों की संख्या भी करीब 3200 हैं। निगम को रोजाना दो से ढाई करोड़ का नुकसान हो रहा है। विभाग को हाईटैक करने की क्या योजना है?

परिवहन विभाग भी आइटी के साथ तालमेल करेगा। कांट्रेक्ट कैरिज व्हीकल की सेवाएं पूरी तरह से ऑनलाइन की जाएगी। इसे लेकर एप तैयार है। ऑकडाउन के कारण इसे लागू नहीं कर पाएं। इसकी लॉचिग मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से करवाएंगे। परिवहन सेवाओं के लिए लोगों को कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने होंगे। टैक्सी, मैक्सी कैट आदि के ऑल इंडिया परमिट के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदनों की मानिटरिग भी संभव होगी। कोई भी व्यक्ति घर में बैठकर कर एप को लाउनलोड़ कर सकेगा। सेवाओं के बदले कोई कमीशन नहीं चलेगी। हमने दलाली पर रोक लगा दी है। कमीशन लेने से जुड़ी पुरानी स्कीम को बंद कर दिया है। आरटीओ परमिट और स्पेशल परमिट ऑनलाइ जारी करेंगे। इनमें स्टेज कैरीज के परमिट भी शामिल होंगे। राज्य परिवहन प्राधिकरण का काम पूरी तरह से ऑनलाइन होगा।

क्या नई सेवाएं भी शुरू होंगी, गुणवत्ता कैसे बढ़ाएंगे?

-शिमला से प्री पैड टैक्सी सेवाएं आरंभ होंगी। नया प्रयोग किया जाएगा। इनकी ऑनलाइन बुकिग हो सकेंगी। इससे बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा और लोगों को बेहतर सुविधा। शिमला समेत अन्य प्रमुख शहरों से बाहर के लिए भी ऐसी ही सुविधा आरंभ करने की योजना है। प्रदेश के अंदर शहरों को जोड़ने वाली ऐसी ही सेवाएं चलाएंगे। अच्छी गुणवत्ता की इंटरसिटी, इंटर स्टेट डीलक्स बस सेवाएं भी चलाएंगे। यह उनके लिए होगी, जिनकी आय बेहतर है।


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