स्वास्थ्य विभाग की एक नहीं कई खरीद में है गड़बड़, एक बिल का दो बार हुआ भुगतान
राज्य स्वास्थ्य विभाग में एक नहीं बल्कि हर बड़ी खरीद में करोड़ों का खेल हो रहा है। दस्तावेज पूरे करने के लिए असली बिलों की बजाय डुप्लीकेट बिलों के आधार पर कंपनियों का भुगतान किया जा रहा है।
शिमला, जागरण संवाददाता। स्वास्थ्य विभाग में खरीद में हो रही गड़बड़ के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। अब बेबी किट खरीद में भी घोटाला सामने आया है। आरोप है कि बिलासपुर में कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए एक ही बिल पर दो बार भुगतान कर दिया। यही नहीं दस्तावेज पूरे करने के लिए असली बिलों की बजाय डुप्लीकेट बिलों के आधार पर कंपनियों को भुगतान किया है।
प्रदेश के अस्पतालों में बच्चा पैदा होने के बाद मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बेबी किट दी जाती है। साल 2019 में बिलासपुर जिले के सीएमओ की ओर से जारी एक ही बिल का मार्च और मई में बेबी किट मुहैया करवाने वाली कंपनी को दो बार भुगतान कर दिया। हैरानी की बात है कि इस पर न ही कंपनी की ओर से कोई आपत्ति लगाकर वापस किया और न ही विभाग के किसी कर्मचारी व अधिकारी ने रोकने के लिए फाइल पर नो¨टग डालने की जहमत उठाई। उत्तर प्रदेश के नोएडा की कंपनी की दो लाख 19 हजार की पेमेंट एक बार 27 मार्च को तो दूसरी बार छह मई को की गई। दोनों की राशि से लेकर इंवायस नंबर से लेकर हर तरह की डिटेल एक है।
डुप्लीकेट बिल बना कर होता रहा खेल
बिलासपुर सहित कई जिलों में स्वास्थ्य विभाग में कागज पूरे करने के लिए असली बिल की बजाय डुप्लीकेट बिलों पर ही पेमेंट कर दी जाती थी। इसमें तर्क दिया जाता था कि जब तक असली बिल पहुंचेंगे, कंपनी को पेमेंट मिल जाएगी। कंपनी की ओर से अगली सप्लाई के लिए जल्द भुगतान का दबाव भी कारण बताया जाता था। आरोप है कि इसके बाद जब असली बिल आते तो संयुक्त पेमेंट में भी इसे मौका देखते हुए शामिल कर लिया जाता था। इससे सरकारी खाते से कंपनी को दो बार पेमेंट पहुंच जाती। हालांकि नियम के तहत जिला में जहां किट इस्तेमाल की गई है, वहां से अधिकारी की स्टांप और हस्ताक्षर वाले असली बिलों के आधार पर भुगतान किया जा सकता है, लेकिन इस नियम को ताक पर रख फोटोस्टेट की प्रति पर ही बिलों का भुगतान किया जाता रहा। इन किटों की खरीद का भुगतान लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में एक साथ ही किया जाता है।
एक बिल का दो बार भुगतान करना संभव नहीं है। यदि ऐसा हुआ है तो ये सीधे तौर पर वित्तीय अनियमितता है। इस मामले की भी विभागीय जांच होगी। विजिलेंस जांच में इसे हिस्सा बनाया जाएगा। -आरडी धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य।