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निजी फाइनांस कंपनी से गाड़ियां उठाने का डर

कोरोना महामारी के चलते किए गए लोकडाउन के चलते जिला शिमला में टैक्सी चालको पर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है। संकट की इस घड़ी में टैक्सी चालकों को निजी फाइनांस कंपनी द्वारा गाड़ियां उठाने का डर भी सता रहा है। टैक्सी आपरेटरों का तीन महीनों में छोटी लग्जरी कार पर खर्च एक लाख सात हजार रुपये के करीब आ रहा है जबकि पिछले तीन माह से कमाई एक भी रुपया नहीं हो पाई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 06:16 AM (IST)Updated: Thu, 21 May 2020 06:16 AM (IST)
निजी फाइनांस कंपनी से गाड़ियां उठाने का डर
निजी फाइनांस कंपनी से गाड़ियां उठाने का डर

जागरण संवाददाता, शिमला : लॉकडाउन के कारण जिला शिमला में टैक्सी चालकों को रोजी-रोटी की चिंता सता रही है। संकट की घड़ी में उन्हें निजी फाइनांस कंपनी द्वारा गाड़ियां उठाने का डर भी सता रहा है। टैक्सी ऑपरेटरों का तीन माह में छोटी लग्जरी कार पर खर्च एक लाख सात हजार रुपये के करीब आ रहा है, जबकि कमाई एक पैसा भी नहीं हुई है। टैक्सी संचालकों को गाड़ी की किश्त और चालक का वेतन देना भी मुश्किल हो गया है। जिला में टैक्सियां चलने से करीब 11500 लोगों के घर का चूल्हा जलता है। शिमला शहर में 22 टैक्सी यूनियन हैं और चार हजार के करीब टैक्सियां पंजीकृत हैं। सबकी रोजी रोटी इसी से चलती है।

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टैक्सी मैक्सी ऑपरेटर यूनियन के जिला अध्यक्ष अजय सलवानी ने बताया कि शहर में लॉकडाउन के बाद से टैक्सियां नहीं चल रही हैं। इससे चालकों के परिवार पर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है। सरकार को ज्ञापन देकर आर्थिक सहायता करने की मांग की है। कई लोगों ने दो माह से किश्त नहीं दी है। ऐसे में उन्हें निजी फाइनांस कंपनी द्वारा गाड़ियां उठाने का डर सता रहा है। सरकार टैक्सी चालकों को भी राहत पैकेज टैक्सी दे ताकि इनकी रोजी रोटी चल सके।

शहर में निजी गाड़ियों में ढोई जा रही सवारियां

जय मां पधाई टैक्सी ऑपरेटर यूनियन के अध्यक्ष नरेंद्र ठाकुर ने कहा कि शहर में टैक्सी चलाने पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगाया है। ऐसे में निजी गाड़ियों में सवारियां ढोई जा रही हैं। निजी फाइनांस कंपनियां गाड़ियां उठाने की धमकी दे रही हैं। सहकारी बैंक से फाइनांस की गाड़ी की भी किश्तें देनी पड़ रही हैं। ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो गया है। शिमला में 4000 लोग समस्या से जूझ रहे हैं। सरकार निजी फाइनांस कंपनी के लिए भी कुछ करे ताकि वह टैक्सी चालकों को राहत दे। शहर में निजी गाड़ियों में सवारियां ढोने पर प्रतिबंध लगाया जाए। हिमाचल प्रदेश टैक्सी ऑपरेटर यूनियन के उपाध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि टैक्सी चालकों को कोई राहत पैकेज सरकार दे जिससे उनके परिवार को भी राहत मिल सके। टैक्सी चालकों को बैंक परेशान न करें।

एक छोटी लग्जरी कार का तीन माह का खर्च

टैक्स, 4500

चालक का वेतन,30000

पार्किंग फीस,9000

किश्त,15000 से 60000

बीमा,15000


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