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जान‍िए कब होगा कौन सा श्राद्ध

श्राद्ध 16 सितंबर से शुरू होने जा रहे है। पूर्णिमा के दिन पहला श्राद्ध होगा। आईए जानते है क‍ि क‍िस द‍िन कौन सा और क‍िसके ल‍िए होगा श्राद्ध।

By Edited By: Published: Thu, 15 Sep 2016 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 15 Sep 2016 11:42 AM (IST)
जान‍िए कब होगा कौन सा श्राद्ध

शिमला [जेएनएन] : श्राद्ध 16 सितंबर से शुरू होने जा रहे है। पूर्णिमा के दिन पहला श्राद्ध होगा। सभी पितरो के लिए किया जाने वाला अमावस्या का श्राद्ध 30 सितंबर को होगा। तृतीया व चतुर्थी तिथि का श्राद्ध एक ही दिन 19 सितंबर को होगा। तृतीया तिथि क्षय होने के कारण दोनों तिथियो के श्राद्ध एक ही दिन होंगे। पितर की मृत्यु तिथि दो दिनों में व्याप्त हो तो जिस दिन तिथि का काल अधिक होता है उसी दिन श्राद्ध किया जाता है।

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तृतीया तिथि 19 सितंबर को अपराहन तक रहेगी और इसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी। चतुर्थी तिथि अपराहन काल तक 20 सितंबर को न रहने के कारण चतुर्थी का श्राद्ध 19 सितंबर को ही किया जाएगा। इस दौरान हिंदू पितरो को याद करके उन्हें अन्न-जल आदि अर्पित करते है। इस अवसर पर बेटियों-बहनों को आमंत्रित करके उन्हें भोजन सहित दान-दक्षिणा देना पुण्य माना जाता है और अधिकाधिक लोगों को भोजन कराने से भी पितृ शांति मिलती है। श्राद्धों के दौरान पूर्वजों के लिए किया गया श्राद्ध उन्हें प्राप्त होता है व बदले में पूर्वज संतानो को आशीर्वाद देते है।

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पितरो के लिए पार्वण श्राद्ध

आचार्य हेमंत शर्मा ने कहा कि श्राद्ध कई प्रकार के होते है। इनमे एकोदिष्ट श्राद्ध, अनावष्टक श्राद्ध व पार्वण श्राद्ध प्रमुख है। एकोदिष्ट श्राद्ध वर्ष मे एक बार आने वाली कालतिथि को किया जाता है। इसके अलावा सौभाग्वती स्ित्रयों का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है व यह अनावष्टक श्राद्ध होता है। पितरों के लिए पार्वण श्राद्ध किया जाता है। उनके अनुसार श्राद्ध के लिए सात चीजें पवित्र मानी गई है। इनमें गाय का दूध, शहद, सूत का धागा, दोहेत्र, श्राद्ध का काल, तिल व गंगाजल। श्राद्ध पर पितरो के लिए विभिन्न व्यंजन तैयार किए जाते है। इसमें प्याज व लहसुन वर्जित होता है।

श्राद्ध और तर्पण का अर्थ

पितरो के लिए श्रद्धा से किए गए कर्म को श्राद्ध कहते है तथा तृप्त करने की क्रिया, देवताओ व पितरो को चावल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते है। जिस कर्म से माता-पिता और आचार्य तृप्त हो वह तर्पण है। वेदो मे श्राद्ध को पितृयज्ञ कहा गया है। यह श्राद्ध तर्पण हमारे पूर्वजो, माता-पिता के प्रति सम्मान का भाव है।

कौन सा श्राद्ध कब

तिथि दिनांक

पूर्णिमा 16 सितंबर

प्रतिपदा 17 सितंबर

द्वितीया 18 सितंबर

तृतीया 19 सितंबर

चतुर्थी 19 सितंबर

पंचमी 20 सितंबर

षष्ठमी 21 सितंबर

सप्तमी 22 सितंबर

अष्टमी 23 सितंबर

नवमी 24 सितंबर

दशमी 25 सितंबर

एकादशी 26 सितंबर

द्वादशी 27 सितंबर

त्रयोदशी 28 सितंबर

चतुर्दशी 29 सितंबर

अमावस्या 30 सितंबर

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