एसएमसी अध्यापकों ने सरकार को याद दिलाया वादा
एसएमसी अध्यापकों ने शिक्षा विभाग से उन्हें हक दिलाने की मांग की है।
जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश में शास्त्री के 1182 और भाषा अध्यापकों के 625 पदों को आठ वर्ष से कार्यरत स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) अध्यापकों की जगह भरने का कड़ा विरोध जताया जा रहा है। एसएमसी अध्यापक एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज रोगटा ने कहा कि भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में उनकी समस्याओं का समाधान करने की बात कही थी। सरकार ने अधिसूचना जारी कर उनकी समस्याएं सुलझाने के बजाय रोजगार छीनकर बेरोजगार कर दिया है। सरकार अपने वादे पर कायम रहकर उन्हें राहत प्रदान करे।
संगठन के महासचिव पीतांबर ने कहा कि 14 दिसंबर को शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में कहा था कि नियमित भर्ती होने पर किसी अध्यापक को एसएमसी की जगह नहीं भेजा जाएगा। लेकिन शिक्षा विभाग के जारी आदेश के तहत एमएमसी अध्यापकों की जगह नियमित शिक्षकों की तैनाती की जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी एसएमसी अध्यापक योग्यता पूरी करते हैं। पूर्व सरकार ने 2012 में एसएमसी पॉलिसी बनाकर नियुक्ति दी थी। 1991 से अभी तक सभी अस्थायी अध्यापकों को पॉलिसी के तहत लाया गया था। 2012 में नियुक्त उर्दु और पंजाबी कक्षा के आधार पर अध्यापकों को भी अनुबंध में लाया गया। वहीं एसएमसी अध्यापकों के साथ कोर्ट का हवाला देकर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मांग की है कि शास्त्री और भाषा अध्यापकों को एसएमसी शिक्षकों की जगह पर भेजने वाले आदेश को वापस लिया जाए। इस अधिसूचना को एसएमसी के अध्यापकों के पिछले कार्यकाल को ध्यान में रखते हुए रद किया जाए। शनिवार को एसएमसी अध्यापक शिक्षा मंत्री से इस विषय में मुलाकात करेंगे। उनसे एसएमसी अध्यापकों के भविष्य का ध्यान रखने की अपील की जाएगी।