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आपराधिक नहीं डॉ. सुरेश अत्री की नियुक्ति का मामला

सीआइडी ने पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में कार्यरत प्रमुख वैज्ञानिक अधिकारी(पर्यावरण) की नियुक्ति पदोन्नति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले में क्लीन चिट दे दी है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक प्रारम्भिक जांच में पाया कि यह क्रीमिनल ऑफेंस नहीं है बल्कि भर्ती एवं पदोन्नति नियमों (आरएंडपी) से जुड़ा हुआ है। इस कारण जांच बंद कर दी है और रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेजी गई है। एडीजीपी सीआइडी की ओर से विभाग के निदेशक को पत्र लिखा गया है। अब एफआइआर दर्ज नहीं होगी। हां विभाग चाहे तो अपने स्तर पर कोई कारवाई कर सकता है। हालांकि जांच अधिकारी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में पूरी तरह से खामोश है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 09:11 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 06:18 AM (IST)
आपराधिक नहीं डॉ. सुरेश
अत्री की नियुक्ति का मामला
आपराधिक नहीं डॉ. सुरेश अत्री की नियुक्ति का मामला

राज्य ब्यूरो, शिमला : सीआइडी ने पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में कार्यरत प्रमुख विज्ञानी अधिकारी (पर्यावरण) डॉ. सुरेश अत्री की नियुक्ति व पदोन्नति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामले में जांच कर ली है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक यह आपराधिक नहीं बल्कि भर्ती एवं पदोन्नति (आरएंडपी) नियमों से जुड़ा मामला है। इस कारण जांच बंद कर रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेजी गई है।

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एडीजीपी सीआइडी की ओर से विभाग के निदेशक को पत्र लिखा गया है। अब एफआइआर दर्ज नहीं होगी। विभाग चाहे तो अपने स्तर पर कार्रवाई कर सकता है। शिकायतकर्ता के अनुसार वरिष्ठ पर्यावरण अधिकारी के पद के लिए पर्यावरण विज्ञान में पीएचडी होनी चाहिए थी। डॉ. सुरेश शारीरिक विज्ञान में पीएचडी हैं। आरोप लगाया गया था कि वह पर्यावरण से जुड़े मामलों को कैसे निपटाएंगे और उन्होने किस हैसियत से क्लीयरेंस के मामलों की फाइल डील की? आरोप है कि उन्होंने विभागीय परीक्षा भी पास नहीं की जबकि दो अन्य अधिकारियों ने इसे पास किया है। उनके अलावा तीन और अधिकारियों की नियुक्तियों में भी अनियमितताएं बरतने के आरोप लगाए गए हैं।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि सीआइडी ने जांच में लीपापोती की है। वहीं, दूसरे विभाग से सेवानिवृत्त हुए एक अधिकारी की उम्र करीब 65 वर्ष बताई गई है। उन्हें पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में तीन वर्ष से लगातार सेवाविस्तार दिया जा रहा है। राज्य सरकार सेवाविस्तार के खिलाफ रही है लेकिन इस अधिकारी पर मेहरबानी बरती जा रही है। उनके वेतन में भी दस हजार रुपये की बढ़ोतरी की गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय में भी शिकायत

कई पदों पर हुई नियुक्तियों की प्रधानमंत्री कार्यालय में भी शिकायत की गई थी। इसके आधार पर दो बार शिकायतकर्ता को ही तलब किया गया मगर वह नहीं गए। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को दोबारा पत्र लिखा। इसके बाद विभाग हरकत में आया लेकिन इसकी जांच पर सवाल खड़े किए गए हैं। आरोप है कि शिकायत को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

--------- रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। विभागीय कार्रवाई क्या करनी है, इस संबंध में सरकार ही निर्देश देगी। पहले एडहॉक पर डीपीसी हुई थी और तब आरएंडपी नियम नहीं बने थे।

डीसी राणा, निदेशक, पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग

नियुक्ति व पदोन्नति से जुड़ा मामला गोपनीय है। सीआइडी ने जांच में क्या पाया, इसकी जानकारी नहीं है। सरकार चाहे तो मुझे नौकरी से निकाल या रख सकती है। तथ्यों को मिटाया नहीं जा सकता है। आरोपों के संबंध में मुझे कुछ नहीं कहना है।

डॉ. सुरेश अत्री, प्रमुख विज्ञानी अधिकारी


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