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World Radio Day 2020: तकनीक बदली पर लोगों में आज भी कम नहीं हुआ रेडियो का क्रेज

World Radio Day 2020 रेडियो चैनल्स के जरिये फिर से जुड़ने लगे युवा रेडियो जॉकी की जादुई आवाज के मुरीद हो रहे युवा भी खबरें सुने बिना नहीं रहते लोग।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 08:32 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 08:32 AM (IST)
World Radio Day 2020:  तकनीक बदली पर लोगों में आज भी कम नहीं हुआ रेडियो का क्रेज
World Radio Day 2020: तकनीक बदली पर लोगों में आज भी कम नहीं हुआ रेडियो का क्रेज

शिमला, जेएनएन। World Radio Day 2020 एक समय वह था जब आकाशवाणी का कार्यक्रम प्रसारित होता था तो लोग रेडियो के पास पहुंच जाते थे। हर घर में एक या दो रेडियो हुआ करते थे। प्रादेशिक व देश-विदेश के समाचारों के प्रसारण को सुनकर खबरों की जानकारी लेते थे। हालांकि जमाने के हाइटेक होने से रेडियो का यह चलन कम हुआ है लेकिन आज भी कई घरों में रेडियो की आवाज गूंजती सुनाई देती है। आज भी घर पर बुजुर्ग सहित अन्य लोग रेडियो पर बजते गानों और समाचारों के मुरीद हैं। मॉडर्न पीढ़ी एफएम रेडियो के जरिए फिर से जुड़ने लगी है। शहर में बढ़ती एफएम रेडियो चैनल्स की संख्या ने यह साबित कर दिया है कि नए कलेवर में रेडियो फिर से छा गया है। रेडियो जॉकी की जादुई आवाज के युवा मुरीद हैं।

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रेडियो सुने बिना चैन नहीं आता

शिमला मिनी कुफ्टाधार में रहने वाले पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त कर्मी पितांबर लाल भारद्वाज ने बताया कि मैं समझता हूं कि मेरी उम्र के उस समय के लोगों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसने रेडियो पर प्रसारित होने वाली गीतमाला न सुनी होगी। उन दिनों मनोरंजन का घरेलू साधन केवल एक रेडियो की आवाज ही होती थी। गीतमाला के बिना दिन पूरा नहीं लगता था। प्रादेशिक समाचार के लिए तो कई बार हम भोजन करने के समय में फेरबदल कर लेते थे। आज भी रेडियो की आवाज से ही उठता है। 

पहाड़ी बोली कार्यक्रम आज भी लोगों का पसंदीदा

हिमाचली बोली कार्यक्रम, हैलो डॉक्टर तथा प्रादेशिक व दिल्ली केंद्र से रिले किए जाने वाले समाचार के लिए रेडियो आज भी लोगों का साथी है। समय के बदलते दौर के साथ विलुप्त होने वाली पहाड़ी बोलियों को सुनने के लिए लोग अपने कार्यक्षेत्र में भी सुनने के लिए समय निकालते हैं। सिरमौरी, किन्नौरी, कुल्लवी, मंडयाली सहित अन्य पहाड़ी बोलियों का प्रसारण शाम साढ़े चार से लेकर छह बजे तक होता है। वहीं विभिन्न रोगों के बारे में महत्वपूण जानकारी लेने के लिए हैलो डॉक्टर, प्रदेश, देश-विदेश की खबरों के लिए समाचार बुलेटिन, महिलाओं के लिए सखी सहेली सहित अन्य कार्यक्रम लोगों के दिलों में आज भी जगह बनाए हुए हैं।

समय के साथ-साथ बदला स्वरूप 

गौरतलब है कि 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है। समय के साथ-साथ रेडियो का स्वरूप में भी काफी बदलाव आया है। पहले पूरा परिवार घर में बैठकर बड़े चाव से रेडियो सुना करता था। लेकिन आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने स्मार्ट फोन में रेडियो सुनते हैं। आज भी बहुत से ऐसे श्रोता हैं जो रेडियो पर अपना नाम सुनने को ललायित रहते हैं। कुछ ऐसे भी शौकीन हैं जिनके पास रेडियो के अलग-अलग मॉडल का बेहतर कलेक्शन है। बता दें कि आज संयुक्त राष्ट्र की रेडियो यूएनओ की वर्षगांठ भी है। सन 1946 में आज ही के दिन रेडिया स्टेशन स्थापित किया गया था। 

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