अब आधे खर्च में होगा डायलिसिस, जानें किडनी रोगी को क्यों होती है इसकी जरूरत
शिमला के रिपन अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा अब आधी दरों में मिल रही है जबकि निजी अस्पतालों में इसके लिए पांच से छह हजार रुपये वसूले जाते हैं।
शिमला, जेएनएन। किडनी खराब होने पर मरीजों को अब खर्चे से डरने की जरूरत नहीं है और न ही ऋण लेकर डायलिसिस करवाने की नौबत पड़ेगी। रिपन अस्पताल में आधी दरों पर डायलिसिस की सुविधा मिल रही है। डेढ़ साल में करीब 69 मरीजों का सफल डायलिसिस हुआ है। इनमें से करीब 26 मरीज अस्पताल में नियमित डायलिसिस करवा रहे हैं। अस्पताल में डायलिसिस के लिए 10 बिस्तर हैं। इनमें से करीब सभी बिस्तर भरे रहते हैं। प्रदेशभर से यहां किडनी फेल होने वाले मरीज डायलिसिस करवाने के लिए आते हैं।
निजी अस्पतालों में एक बार डायलिसिस करवाने पर पांच से छह हजार रुपये वसूले जाते हैं। रिपन अस्पताल में 1227 रुपये में होता है। एक महीने में कितने डायलिसिस होंगे यह बीमारी पर निर्भर करता है। अनियंत्रित बीपी, हाइपरटेंशन डायबिटीज से खराब होती है किडनी डायलिसिस विशेषज्ञ डॉ. उर्मिला जम्वाल ने बताया कि लंबे समय तक अनियंत्रित ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, डायबिटीज होने से किडनी काम करना बंद कर देती है। इसलिए बीमारियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
दवाओं का नियमित सेवन करना चाहिए। किडनी खराब होने के बाद मरीज के पास या तो किडनी ट्रांसप्लांट या डायलिसिस का विकल्प बचता है। ट्रांसप्लांट का अधिक खर्च देखकर मरीज डायलिसिस करवाता है। नेफ्रोलॉजिस्ट के अनुसार लगातार डायलिसिस करवाने से व्यक्ति लंबे समय तक जी सकता है।
किन खाद्य पदार्थों का करें सेवन
सब्जियों को अच्छी प्रकार से धोकर पकाएं। दिन में सेब, पपीता, नाशपाती या अमरूद 100 ग्राम तक
खाएं। घीया, टिंडा, लौकी, पत्ता गोभी, भिंडी, शिमला मिर्च, कम मात्रा में आलू, अरारोट, साबूदाना, भिगोई दालें खा सकते हैं। संतुलित मात्रा में पानी, पेय पदार्थ, कम नमक खाना चाहिए।
किडनी रोगी इन खाद्य पदार्थों का न करें सेवन
डायलिसिस करवा रहे मरीजों को फलों का रस, शरबत, कोल्ड ड्रिंक, नींबू, नींबू पानी, नारियल, सब्जियों का सूप, पापड़, बूस्ट, प्रोटोनेक्स, दूध से बनी चीजें, सूखे मेवे, टमाटर, मटर, बैंगन, जिमीकंद, कटहल, खरबूजा, लोकाट, खुमानी, आड़ू, लीची, अरहर, लोबिया दाल, चना दाल, पकौड़े व पतीसा का सेवन नहीं
करना चाहिए। इनका परहेज जरूरी है।
क्यों पड़ती है डायलिसिस की जरूरत
जब दोनों किडनियां काम नहीं कर रही हों तो उस स्थिति में किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर डायलिसिस करवाने की सलाह देते हैं। शरीर में एकत्रित अपशिष्ट पदार्थों व अतिरिक्त पानी को आर्टिफिशियल तरीके से बाहर निकाला जाता है। यह करीब चार से पांच घंटे की प्रक्रिया है। मरीज को बिस्तर पर लिटाकर डायलिसिस किया जाता है। इसके बाद रिपोर्ट तैयार होती है। इसमें पता चलता है कि शरीर से कितने फीसद अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकले हैं।