सेवाएं समाप्त करने के साथ आउटसोर्स कर्मचारी को 20 हजार कास्ट
प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की सेवाओं को जारी न रखने और अनु
विधि संवाददाता, शिमला : प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की सेवाओं को जारी न रखने और अनुबंध सेवा को खत्म करने के खिलाफ दायर याचिका को 20 हजार रुपये की कास्ट के साथ खारिज कर दिया। कोर्ट ने कास्ट की राशि दो माह के भीतर उपायुक्त नाहन के कार्यालय में जमा करने के आदेश भी दिए।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह आदेश उपायुक्त कार्यालय जिला सिरमौर में तैनात आउटसोर्स महिला कर्मचारी की याचिका को खारिज करते हुए पारित किए। प्रार्थी बतौर डाटा एंट्री आपरेटर नायलेट एजेंसी के माध्यम से आउटसोर्स आधार पर नियुक्त हुई थी। उसने पांच नवंबर 2014 को नियुक्ति दी। इसके बाद उसके अनुबंध को समय-समय पर नवीनीकृत किया जाता था और सितंबर 2019 के नवीनतम अनुबंध के अनुसार उसकी सेवाओं को सितंबर, 2020 तक जारी रखा जाना था। हालांकि, उसके अनुबंध को दिनांक सात जनवरी 2020 के आदेशानुसार बंद कर दिया गया था। उसने उक्त आदेश को रद करने व अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
मामले पर सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता की सेवाओं को उसके निरंतर उदासीन व्यवहार और काम करने में अनुशासनहीनता के कारण बंद कर दिया गया था। मामले का निपटारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि अनुशासन हर कर्मचारी की पहचान है, इसलिए याचिकाकर्ता की सेवाएं समाप्त करने की सजा पूरी तरह से उचित है और ऐसे मामलों में कोई भी उदार दृष्टिकोण नहीं लिया जा सकता है।
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यह भी कहा कोर्ट ने
न्यायालय ने पाया कि पक्षकारों की ओर से इस तरह की झूठी और असंगत दलीलों की वजह से देश में न्यायिक व्यवस्था घुट रही है और ऐसे मुकदमे गलत कारणों से अदालतों के समय का उपभोग करते हैं। न्यायालय ने कहा कि पक्षकारों ने न्यायालय के समक्ष गलत और असंगत बयानों का सहारा लिया। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट की प्रक्रिया के दुरुपयोग पर सख्ती, सतर्कता बरतने और कड़ाई से इस तरह की प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।