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Himachal: हिम के आंचल में बर्फानी तेंदुए का शतक

Snow Leopard In Himachal. लाहुल किन्नौर और पांगी में सात जगह हुए सर्वेक्षण में 49 बर्फानी तेंदुए होने के पुख्ता सुबूत मिले हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 06:30 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 06:30 PM (IST)
Himachal: हिम के आंचल में बर्फानी तेंदुए का शतक
Himachal: हिम के आंचल में बर्फानी तेंदुए का शतक

शिमला, रमेश सिंगटा। Snow Leopard In Himachal. हिमाचल प्रदेश में दुर्लभ वन्य प्राणियों में शुमार बर्फानी तेंदुआ (स्नो लेपर्ड) की तादाद सौ के पार हो गई है। ताजा सर्वेक्षण से यह खुलासा हुआ है। लाहुल, किन्नौर और पांगी में सात जगह हुए सर्वेक्षण में 49 बर्फानी तेंदुए होने के पुख्ता सुबूत मिले हैं। इनके आधार पर पूरे प्रदेश में इनकी संख्या का अनुमान लगाया गया है। अप्रैल तक पूरी रिपोर्ट आ जाएगी। सर्वेक्षण वन विभाग ने करवाया है। इसमें नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन (एनसीएफ) का सहयोग लिया गया है।

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यह गैर सरकारी संस्था है। ऐसा सुरक्षित हिमालय प्रोजेक्ट से संभव हो पाया है। यह प्रोजेक्ट हिमाचल समेत पांच हिमालयी राज्यों उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल और जम्मू-कश्मीर में लागू किया जा रहा है। इन राज्यों में बर्फानी तेंदुओं को बचाने के खास प्रयास हो रहे हैं। हिमाचल में इन्हें बचाने के लिए गैर सरकारी संगठनों व हितधारकों को जोड़ा गया है। कृषि से लेकर पशुपालन तक कई विभागों का भी इसमें जुड़ाव हो रहा है। वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया के 12 से अधिक देशों में बर्फानी तेंदुआ पाया जाता है। भारत में इसकी अनुमानित संख्या 400 से 700 आंकी गई है, जबकि विश्व में यह आंकड़ा 3900 से 6400 के बीच है।

जानें, कब शुरू हुआ प्रोजेक्ट

सुरक्षित हिमालय प्रोजेक्ट वर्ष 2018-19 में आरंभ हुआ, जो 2024 तक चलेगा। इस पर 130 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें 21 करोड़ रुपये की राशि अनुदान और 109 करोड़ रुपये संयुक्त राष्ट्र विकास, केंद्र और राज्य सरकार वहन करेगी। मार्च में प्रोजेक्ट के लिए केंद्र से 72 लाख रुपये आए। इस वर्ष 2019-20 के लिए एक करोड़ 79 लाख रुपये आवंटित किए। इनमें से 70 लाख रुपये मिल गए हैं। इससे कई तरह की गतिविधियां धरातल पर शुरू होंगी।

यहां हुआ सर्वे

सात जगह बर्फानी तेंदुए का सर्वे हुआ है। इसके आधार पर कह सकते हैं कि प्रदेश में इसकी संख्या एक सौ तो होगी। सर्वे की रिपोर्ट जल्द संयोजित की जाएगी। ऐसे वन्य प्राणी को बचाने के मकसद से ही सुरक्षित हिमालय प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इसके बेहतर नतीजे आ रहे हैं।

-डॉ. सविता, पीसीसीएफ, वन्य प्राणी विंग।

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