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सुधार से रोजगार गृह की ओर जेलें

हिमाचल की जेलें अब सुधार गृह से भी आगे बढ़कर रोजगार गृह में तब्दील हो रही हैं। कैदियों को यहां कौशल विकास का प्रशिक्षण मिलता है। इससे रोजगार के नए द्वार खुल रहे हैं। जेल प्रशासन की नई पहल से सजायाफ्ता कैदी दिन को उद्योगों में रोजगार पा रहे हैं और रात को बिना किसी निगरानी के जेल लौटते हैं। प्रशासन ने उद्योगों के साथ तालमेल स्थापित किया है। महिला कैदी भी कारखानों में कमाई कर रही हैं। वे बिना किसी सुरक्षा गार्ड के सुबह जेलों से बाहर निकलती है। दिन भर रोजी रोटी के लिए पसीना बहाती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 06:00 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 06:42 AM (IST)
सुधार से रोजगार गृह की ओर जेलें
सुधार से रोजगार गृह की ओर जेलें

रमेश सिंगटा, शिमला

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हिमाचल की जेलें अब सुधार गृह से रोजगार गृह की ओर बढ़ रही हैं। कैदियों को यहां कौशल विकास का प्रशिक्षण मिलता है। इससे रोजगार के नए द्वार खुल रहे हैं। जेल प्रशासन की पहल से सजायाफ्ता कैदी दिन को उद्योगों में रोजगार पा रहे हैं और रात को बिना किसी निगरानी के जेल लौटते हैं।

प्रशासन ने उद्योगों के साथ तालमेल स्थापित किया है। महिला कैदी भी कारखानों में कमाई कर रही हैं। वे बिना किसी सुरक्षा गार्ड के सुबह जेलों से बाहर निकलती हैं। दिनभर रोजी रोटी के लिए पसीना बहाकर शाम होते ही वापस जेलों का रुख करती हैं। सजा पूरी होने पर ये भी स्वरोजगार पाएंगी। हर हाथ को काम देने की पहल से कैदियों की काफी कमाई होने लगी है। कैदियों को मेहनताना देने में हिमाचल अव्वल

कैदियों को मेहनताना (पारिश्रमिक) देने के मामले में हिमाचल प्रदेश देशभर में अव्वल आंका गया है। राज्य में इन्हें 46200 रुपये सालाना पारिश्रमिक दिया जाता है। दूसरे स्थान पर बिहार है। वहां 29100, आंध्र प्रदेश में 9800, महाराष्ट्र में 9750 और तेलंगाना में 8500 रुपये दिए जाते हैं। हिमाचल की जेलों में अभी करीब 2200 कैदी हैं। इनमें विचाराधीन व सजायाफ्ता दोनों कैदी शामिल हैं। जेलों को ग्रांट बंद

पुलिस आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार राज्यों को करोड़ों की ग्रांट जारी करती है। लेकिन जेलों को यह ग्रांट वर्ष 2009-10 से बंद है। इसे बहाल करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। हिमाचल समेत अन्य राज्यों के जेल अधिकारियों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह इस मामले में दखल दें। प्रदेश में जब से ग्रांट बंद हुई, तब से राज्य को जेलों का आधुनिकीकरण अपने सीमित वित्तीय संसाधनों से करना पड़ रहा है। सजा पूरी, जेल में रहने की मांगी अनुमति

पंजाब के एक व्यक्ति ने चरस के मामले में हिमाचल की जेल में सजा काटी। गांव गया तो वहां उसे समाज ने स्वीकार नहीं किया। उसने वापस शिमला आकर डीजी जेल सोमेश गोयल से गुहार लगाई कि उसे फिर जेल के एक कोने में जगह दे दें। सोमेश गोयल ने बताया कि जेल के नियम इसकी अनुमति नहीं दे पाए।

-------- जेलों के सुधार की दिशा में निरंतर नई पहल की जा रही है। कैदियों को काम मिले, इसके लिए वोकेशनल ट्रेनिग देकर उद्योगों में रोजगार दिया गया। हमने ऐसी व्यवस्था बनाई है जिससे कैदी अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए कमाई कर सकें।

सोमेश गोयल, डीजी, जेल


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