सरकारी विभागों के लिए एप और पोर्टल बने समस्या, अफसरों का छूटा पसीना
हिमाचल में सरकारी विभागों में एप और एपलिकेशन होने से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी। इसे खत्म करने के लिए ही सीएम डैश बोर्ड और सीएम हेल्पलाइन शुरू की जा रही है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। सरकारी विभागों के कामकाज को चुस्त दुरुस्त करने के लिए बनाई गई एपलिकेशन, एप और पोर्टल गंभीर समस्या बन चुके हैं। अधिकारी के एक समीक्षा बैठक से लौटते ही दूसरी बैठक में ताजा स्थिति की जानकारी देने का बुलावा आ जाता है।
वही अधिकारी पहले वाली रिपोर्ट को ऊपर-नीचे कर बैठक में शामिल होने के लिए सचिवालय पहुंच जाता है। आमतौर पर हिम विकास समीक्षा, जन समीक्षा, जनमंच, ई-समाधान में एक जैसी समस्याएं आती हैं। इन समस्याओं का समाधान हुआ या नहीं, अधिकारी को हर बैठक में जानकारी देनी पड़ती है। ऐसे में अधिकारी व कर्मचारी बैठकों में शामिल होने के लिए एक तरह के डाटा को कई तरह से परोसते हैं। मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी का कहना है कि कई तरह के एप और एपलिकेशन होने से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी। इसे खत्म करने के लिए ही सीएम डैश बोर्ड और सीएम हेल्पलाइन शुरू की जा रही है।
सीएम डैश बोर्ड व सीएम हेल्पलाइन से मॉनिटरिंग भाजपा को सत्ता में दो साल होने वाले हैं और अब तक मॉनिटरिंग की एकीकृत व्यवस्था संभव नहीं हो पाई है। सीएम डैश बोर्ड विकसित करने के लिए 12 सितंबर को निविदा खुलनी है। चयनित होने वाली कंपनी को डैश बोर्ड तैयार करने का काम दिया जाएगा। सीएम हेल्पलाइन बनकर तैयार है। इसका शुभारंभ 16 सितंबर को प्रस्तावित है। यानी सीएम डैश बोर्ड व सीएम हेल्पलाइन शुरू होने के बाद हर प्रकार की शिकायतों का समाधान संभव होगा। विभागों में शिकायत की मौजूदा स्थिति क्या है, इसका पता इन दोनों से चल जाएगा। ऐसे में न लोगों को भटकने की जरूरत होगी और न ही अधिकारियों को अलग-अलग समीक्षा बैठकों में एक तरह की जानकारी देनी पड़ेगी।
इमरजेंसी हेल्पलाइन भी एकीकृत होंगी
अपराध रोकने के लिए सरकार ने गुडिय़ा हेल्पलाइन, होशियार हेल्पलाइन सहित और कई हेल्पलाइन शुरू की हैं। हर हेल्पलाइन का उद्देश्य महिलाओं को अपराध पूर्व सुरक्षा प्रदान करना है। अपराध घटित होने पर तुरंत सूचना की सुविधा या अपराध की आशंका को लेकर प्रशासनिक मदद का माध्यम है। सरकार सभी हेल्पलाइन को एकीकृत करने पर विचार कर रही है, ताकि समाधान करने में भी सरलता हो।
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