बारिश थमी, मुसीबत बरकरार
बारिश के कहर के बाद राजधानी में घरों पर गहराया संकट अभी टला नहीं है। शहर में रविवार को जहां बड़े स्तर पर भूस्खलन हुआ है वहां पर स्थिति अभी तक सामान्य नहीं हो सकी है।
जागरण संवाददाता, शिमला : बारिश के कहर के बाद राजधानी शिमला में घरों पर गहराया संकट अभी टला नहीं है। शहर में रविवार को जहां बड़े स्तर पर भूस्खलन हुआ है, वहां पर स्थिति अभी तक सामान्य नहीं हो सकी है। शहर के लिए आने वाली हर सड़क पर मिट्टी के ढेर, पेड़ और खंभे गिर हुए हैं। इनके नजदीक बने भवनों पर भी खतरा मंडरा रहा है। दिन-रात मलबा कहीं मकान पर न आए इस कारण लोग डर के साये में जी रहे हैं। ऐसी ही स्थिति समहरिल, ढली, बालूगंज से लेकर शहर के अन्य हिस्सों में है। समरहिल में एक भवन को भूस्खलन के बाद खतरा मंडराने लगा है। शोघी तारादेवी के बीच रविवार को भूस्खलन हुआ, इसे साफ कर ट्रैफिक तो बहाल कर दिया है, लेकिन अभी तक वन वे ही ट्रैफिक चल रहा है। बरसात से शिमला नगर निगम को ही एक दिन में पांच करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है। हालांकि अभी तक बरसात के दौरान नगर निगम को 15 करोड़ की चपत लगी है, लेकिन एक दिन में हुए नुकसान का ये काफी बड़ा आंकड़ा माना जा रहा है। इसमें निगम की सड़कों, पेयजल परियोजनाओं, रास्तों, घरों, दुकानों से लेकर अन्य तरह के नुकसान हुए हैं।
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बारिश से एक ही दिन में काफी नुकसान हुआ है। नगर निगम से लेकर सभी सरकारी विभाग लगातार लोगों को राहत देने के कार्य में लगे हैं।
-पंकज राय, आयुक्त, नगर निगम, शिमला।
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ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक नुकसान
रविवार को सबसे ज्यादा कहर गांवों में भी गिरा। यहां पर शहरों में बेतरतीब बने भवनों पर तो खतरा मंडरा ही रहा है, इनके साथ गांव में बने कच्चे मकानों को भी नुकसान पहुंच रहा है। रविवार को शिमला जिला में 72 कच्चे मकान गांवों में गिरे हैं। हालांकि पहले गांवों में कम नुकसान होता था, इस बार गांवों तक पहुंचे बारिश से हुए नुकसान ने सभी को हैरत में डाल दिया है।