वाहनों का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट लेना नहीं होगा आसान, बदले नियम
शहर में वाहनों का सर्टिफिकेट लेना आसान नहीं होगा। प्रदूषण जांच केंद्रों को एनआइसी से जोड़ा जा रहा है।
- 20 से ज्यादा हैं प्रदूषण जांच केंद्र शिमला शहर में, विभाग ने मशीनें अपडेट करने और बदलने के दिए निर्देश
- 20 अगस्त के बाद शहर में नई मशीनों से जारी होंगे सर्टिफिकेट, वाहन के प्रदूषण की रीडिग भी ली जाएगी।
जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी में अब वाहनों का सर्टिफिकेट लेना आसान नहीं होगा। प्रदूषण जांच केंद्रों को नेशनल इंफोरमेटिक सेंटर (एनआइसी) से जोड़ा जा रहा है। कोई भी केंद्र बिना वाहन को चेक किए सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सकेंगे। परिवहन विभाग ने इसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया है। इससे हर प्रदूषण केंद्र से जोड़ा जाना है। केंद्र से जुड़ने के बाद किसी भी वाहन को बिना जांच किए प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जा सकेगा। अभी तक वाहन की फोटो खिंचवाकर ही प्रमाणपत्र जारी कर दिया जाता है। विभाग का मानना है कि ऐसे में शहर में वाहनों का प्रदूषण नियंत्रित करने में सफलता नहीं मिल पा रही है।
शहर में करीब 20 से ज्यादा प्रदूषण जांच केंद्र हैं, इन्हें विभाग की ओर से केंद्रों में लगी मशीनें अपडेट करने और मशीनें बदलने के निर्देश दे दिए हैं। 20 अगस्त के बाद शहर में जो भी सर्टिफिकेट जारी होंगे, वे नई मशीनों से ही होंगे। इन मशीनों में वाहन के प्रदूषण की रीडिग ली जाएगी। रीडिग के देखने के बाद ही सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे। जांच केंद्र में जो भी रीडिग आएगी, उसका पूरा रिकॉर्ड आरटीओ कार्यालय में ऑनलाइन पहुंचेगा। ऑनलाइन ही अधिकारी चेक कर सकेंगे कि किस वाहन से कितना प्रदूषण हो रहा है।
आरटीओ शिमला भूपेंद्र अत्री ने माना कि सभी केंद्रों को मशीनें बदलने और अपडेट करने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके लिए एक महीने का समय दिया है। इसके बाद पूरी प्रक्रिया में बदलाव किया जाना है। फीस में बढ़ोतरी करने की तैयारी, 100 रुपये हो सकता है चार्ज
राज्य में प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट लेने के लिए अभी छह महीने के 50 रुपये अदा करने होते हैं। इसकी दरों में भी इजाफा किया जाना प्रस्तावित है। विभाग ने देश के दूसरे राज्यों की राजधानी में कितनी फीस प्रदूषण सर्टिफिकेट के लिए ली जाती है, इसके लिए पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ से दरों की रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद ही नई दरें तय की जानी प्रस्तावित हैं। छह की बजाय तीन महीनों के लिए बनेगा प्रमाणपत्र
राज्य में अभी छह महीने के लिए प्रदूषण प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। भविष्य में इसे तीन माह में करने की तैयारी है। इस पर फैसला जांच केंद्र चलाने वाले संचालकों की डिमांड पर होना है। अगस्त महीने के पहले सप्ताह में इन सभी के साथ होने वाली बैठक में इसका पूरा खाका तैयार किया जाएगा।